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कुल्लू के रघुनाथ मंदिर में भगवान को केसर के फूलों से किया गया सुसज्जित, जानिए इसका इतिहास

कुल्लू के रघुनाथ मंदिर में कई तरह के त्यौहार मनाए जाते है. ऐसे में यहां न सिर्फ भगवान राम से जुड़े हुए बल्कि श्री कृष्ण से जुड़े त्योहारों को भी बखूबी मनाया जाता है. कार्तिक मास को श्री कृष्ण का प्रिय मास माना जाता है. ऐसे में रघुनाथ मंदिर में भी केसर डोल की परंपरा.

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कुल्लू के रघुनाथ मंदिर में कई तरह के त्यौहार मनाए जाते है. ऐसे में यहां न सिर्फ भगवान राम से जुड़े हुए बल्कि श्री कृष्ण से जुड़े त्योहारों को भी बखूबी मनाया जाता है. कार्तिक मास को श्री कृष्ण का प्रिय मास माना जाता है. ऐसे में रघुनाथ मंदिर में भी केसर डोल की परंपरा को निभाया गया।

रघुनाथ मंदिर के पुजारी दिनेश किशोर ने बताया कि कार्तिक मास में पंचभीष्म जिन्हें पंचभीखम के नाम से भी जाना जाता है, इन दिनों को मंदिर में भीष्म पितामह के लिए मनाया जाता है. जिस तरह महाभारत के दौरान भीष्म पितामह 6 महीने तक तीरों की शैय्या पर रहे थे और और उस दौरान श्रीकृष्ण और सभी 5 पाण्डव उनसे मिलने गए थे. वैसे ही रघुनाथ मंदिर में भी उसी घटना के लिए पंचभीष्म के दौरान यह उत्सव मनाया जाता है. ऐसे में सुबह मन्दिर परिसर में ही रथ यात्रा निकली जाती है. जिसका भाव रह रहता है कि श्रीकृष्ण भीष्म पितामह से मिलने गए है. शाम को उसी उपलक्ष्य में केसर डोल किया जाता है. ऐसे में भगवान रघुनाथ के लिए विशेष तौर पर केसर के फूल मंगवाए जाता है. और भगवान को यह फूल चढ़ाए जाते है. और 5 दिनों तक हर दिन अलग अलग परंपराओं का निर्वहन किया जाता है.

भगवान रघुनाथ के छड़ी बरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि पंच भीखम के दौरान पूर्णिमा के दिन भी भगवान रघुनाथ के मंदिर में विशेष आयोजन किया जाता है. इस दिन महिलाओं के द्वारा मंदिर में दीपक पूजन किया जाता है. ऐसे में पंचभीखम के दौरान केसर डोल पड़ता है. जब भगवान रघुनाथ को केसर का फूल चढ़ाए जहां है और उसे प्रसाद स्वरूप भगवान रघुनाथ के छड़ी बरदार को दिया जाता है.

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