नई दिल्ली : देश के किसानों ने एक बार फिर से कमर कस लिया है। सर्दियों के साथ ही किसान आंदोलन फिर से तूल पकड़ने लगा है। आज, 2 दिसंबर को, हजारों किसान दिल्ली की ओर मार्च करने के लिए निकल पड़े हैं। किसानों की यह मार्च दिल्ली पहुंचने वाली है। इस आंदोलन को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने बॉर्डर पर बैरिकेडिंग लगा दी है। लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर किसान चाहते क्या हैं? क्यों ये आंदोलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा? इस रिपोर्ट में हम जानेंगे किसानों की मुख्य मांगें और आंदोलन के कारणों को।
किसानों की 7 बड़ी मांगे
आप को बता दें कि इस किसान आंदोलन में उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान शामिल हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और आगरा जैसे 20 जिलों के किसान इस मार्च में भाग ले रहे हैं। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। अब जानते हैं कि उनकी 7 मुख्य मांगें क्या हैं:
किसान आंदोलन का तीसरा चरण
किसान आंदोलन अब अपने तीसरे चरण में पहुंच चुका है। 27 नवंबर को किसानों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में धरना दिया था, और 28 नवंबर से 1 दिसंबर तक यमुना प्राधिकरण पर प्रदर्शन किया। अब, 2 दिसंबर को किसानों का अगला कदम नोएडा के महामाया पुल पर है, जहां वे ट्रैक्टरों से दिल्ली की ओर कूच करेंगे। इस आंदोलन को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने बॉर्डर पर बैरिकेडिंग शुरू कर दी है।
दिल्ली-नोएडा मार्गों पर असर
दरअसल इस आंदोलन की वजह से महामाया फ्लाइओवर पर किसानों के जमा होने से भारी ट्रैफिक जाम लगने की संभावना है। महामाया फ्लाइओवर से एक रास्ता कालिंदीकुंज के रास्ते नोएडा सेक्टर 18 की ओर जाता है। इस मार्ग से डीएनडी फ्लाइओवर और चिल्ला बॉर्डर भी बेहद नजदीक हैं। किसान आंदोलन के कारण दिल्ली-नोएडा के कई प्रमुख रास्ते बंद रहने की संभावना है। इस स्थिति को लेकर पुलिस ने एडवाइजरी जारी की है और लोगों से मेट्रो का उपयोग करने की अपील की है ताकि वे ट्रैफिक जाम से बच सकें।
किसान आंदोलन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, और किसानों की सात मुख्य मांगों को लेकर उनकी संघर्ष की भावना मजबूत बनी हुई है। सरकार और किसानों के बीच वार्ता की प्रक्रिया अभी भी जारी है, और यह देखना बाकी है कि यह आंदोलन कब और कैसे समाप्त होगा।