Study Visa In USA : नई दिल्ली। हमारे देश से हर साल एक बड़ी संख्या में छात्र उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कनाडा या यूके भी जाते है। इस बीच स्टूडेंट्स के लिए एक बुरी खबर यह है कि भारत से अमेरिका जाने वाले छात्रों की संख्या पिछले साल की तुलना में कम हो गई है। जो कि एक चिंता का विषय है। आइए जानते है इस पूरे मामले को विस्तार से…
दरअसल, अमेरिका ने 2024 में भारतीय छात्रों को पहले के मुकाबले कम छात्र वीजा (एफ-1) जारी किए हैं। यह गिरावट खासतौर पर जनवरी से सितंबर तक देखी गई है, जो भारतीय छात्रों के लिए चिंता का विषय बन गई है, जो अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक हैं।
अमेरिकी विदेश विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2024 के पहले नौ महीनों (जनवरी से सितंबर) में भारतीय छात्रों को केवल 64,008 वीजा जारी किए गए, जबकि 2023 में इसी अवधि में यह संख्या 1,03,495 थी। यानी, इस साल पिछले साल के मुकाबले भारतीय छात्रों को जारी किए गए वीजा में 38% की कमी आई है।
इस साल के आंकड़े पिछले साल के मुकाबले खासे कम हैं, जो भारतीय छात्रों के लिए एक नकारात्मक संकेत हो सकते हैं।
आप को बता दें कि इस मामले में विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय छात्र अब अमेरिका के अलावा कनाडा, यूके, और जर्मनी जैसे देशों का रुख कर रहे हैं। इन देशों में उच्च शिक्षा के लिए बेहतर अवसर उपलब्ध हैं, जिससे छात्रों की संख्या अमेरिका से बाहर जा रही है। इसके अलावा, वीजा प्रक्रिया में बदलाव भी एक कारण हो सकता है। वीजा प्राप्त करने के लिए अब कुछ नए नियम लागू किए गए हैं, जिससे यह प्रक्रिया और कठिन हो गई है।
यह गिरावट सिर्फ भारतीय छात्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि चीनी छात्रों को भी अमेरिका में शिक्षा के लिए वीजा जारी करने की संख्या में कमी आई है। आंकड़े बताते हैं कि 2024 के पहले नौ महीनों में 73,781 चीनी छात्रों को एफ-1 वीजा जारी किए गए थे, जबकि 2023 में यह संख्या 80,603 थी। इस तरह, चीनी छात्रों के लिए भी वीजा में गिरावट देखी गई है।
इस गिरावट के पीछे कई कारण हो सकते हैं। पहला कारण हो सकता है कि छात्रों के लिए वीजा आवेदन प्रक्रिया में कड़े नियम और शर्तें लागू की गई हैं। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के बाद छात्रों का विदेश में शिक्षा ग्रहण करने का तरीका बदल गया है और अब वे दूसरे देशों की ओर रुख कर रहे हैं। अमेरिका में भारतीय छात्रों के लिए वीजा संख्या में यह गिरावट उनकी उच्च शिक्षा योजनाओं को प्रभावित कर सकती है, और इसके लिए सरकार और शिक्षा संस्थानों को और बेहतर उपायों की आवश्यकता हो सकती है।