ऊना(राजीव भनोट) : सर्दियों के मौसम में हिमाचल के मैदानी इलाकों में कोहरे का प्रकोप बगीचों और फसलों पर गंभीर असर डालता है। खासकर आम और पपीता जैसे फलदार पौधों के कोहरे की चपेट में आकर खराब होने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे किसानों और बागवानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
ऊना जिले के बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. के.के. भारद्वाज ने इस समस्या से निपटने के लिए बागवानों को कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। डॉ. भारद्वाज बताते हैं कि कोहरे के कारण पौधों की कोशिकाएं फट जाती हैं, जिससे फल खराब हो जाते हैं और फूल झड़ने लगते हैं। यदि समय रहते उचित कदम न उठाए जाएं, तो इसका असर आने वाले वर्षों में भी देखा जा सकता है, जब पौधों की पैदावार घट जाती है या फसल बिल्कुल नहीं लगती। सब्जियों पर भी कोहरे का असर इतना गंभीर होता है कि कई बार पूरी फसल नष्ट हो जाती है।
कोहरे के कारण पौधों को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए डॉ. भारद्वाज ने सलाह दी कि 4-5 वर्ष तक के छोटी आयु के पौधों को घास या सरकंडे से ढक दें और उन्हें दक्षिण-पश्चिम दिशा से खुला रखा जाए, ताकि धूप और हवा का प्रवाह बना रहे। उन्होंने कहा कि कोहरा पड़ने की संभावना हो तो पौधों पर पानी का छिड़काव करें और बगीचे को सिंचित रखें।
खाद प्रबंधन पर जोर देते हुए उन्होंने बताया कि सर्दियों में नाइट्रोजन खाद न डालें, बल्कि पौधों की सहनशक्ति बढ़ाने के लिए पोटाश की अनुशंसित मात्र दें। नर्सरियों को कोहरे से बचाने के लिए घास या छायादार जाली से ढकने की सलाह दी गई है। फल पौधों की नर्सरियों को कोहरे से बचाने के लिए घास या छायादार जाली से ढकने को कहा गया है।
वे बताते हैं कि यदि पौधे कोहरे से प्रभावित हो जाएं, तो फरवरी के अंत में नई कोंपलें आने से पहले प्रभावित टहनियों की छंटाई इस ढंग से करें कि सूखी टहनी के साथ-2 कुछ हरा भाग भी कट जाए। पौधों की काट-छांट के बाद कापर आक्सीक्लोराइड (3 ग्राम प्रति लीटर पानी में) का छिडकाव करें व कटे हुए भागों पर ब्लाइटॉक्स या बोडरे पेस्ट (नीला थोथा 800 ग्राम और चूना 1000 ग्राम/10 लीटर पानी में) का लेप लगाए। नई पत्तियां आने के 15 दिन बाद 0.5 प्रतिशत (5 ग्राम/लिटर पानी) यूरिया के घोल का छिड़काव करें।
डॉ. भारद्वाज ने बागवानों से अपील की कि वे नए बगीचों की स्थापना के लिए अपने नजदीकी विषय विशेषज्ञ (बागवानी) या बागवानी विकास अधिकारी अथवा बागवानी विस्तार अधिकारी की सलाह लें। इसके साथ ही सरकार द्वारा चलाई जा रही पुन: गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अन्तर्गत अपने फल-पौधों का बीमा करवाएं ताकि बागवानों को उपज में होने वाली संभावित क्षति से होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई की जा सके।