विज्ञापन

बेटी के विवाह में पिता ने दिया अनोखा गिफ्ट, ससुराल वाले बोले- वाह, क्या सोच है

नई दिल्ली : हमारे समाज में अक्सर देखा जाता है कि बेटियों को घर में बोझ माना जाता है और उनके साथ भेदभाव किया जाता है। हालांकि, अब समय बदल रहा है। अब लोग अपनी बेटियों को पढ़ा-लिखा रहे हैं, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। आज के समाज.

नई दिल्ली : हमारे समाज में अक्सर देखा जाता है कि बेटियों को घर में बोझ माना जाता है और उनके साथ भेदभाव किया जाता है। हालांकि, अब समय बदल रहा है। अब लोग अपनी बेटियों को पढ़ा-लिखा रहे हैं, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। आज के समाज में, लोग अपनी बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनके सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो सके। बता दें कि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले से एक दिलचस्प और प्रेरणादायक खबर सामने आई है, जहां एक किसान ने अपनी बेटी की शादी में उसे महंगी गाड़ी देने के बजाय एक ट्रैक्टर गिफ्ट किया। इस फैसले ने न केवल परिवार, बल्कि समाज में भी एक नई सोच को जन्म दिया है। चलिए जानते है इस खबर को विस्तार से…

गिफ्ट में ट्रैक्टर देने का अनोखा फैसला 

आपको बता दें कि यह घटना गाजियाबाद जिले के मसूरी थाना क्षेत्र के कुसलिया गांव से जुड़ी हुई है। यहां के किसान सकील बेग ने हाल ही में अपनी बेटी की शादी की। उन्होंने इस खास मौके पर अपनी बेटी को गिफ्ट में एक महंगी गाड़ी नहीं, बल्कि ट्रैक्टर दिया। सकील बेग का मानना था कि इस ट्रैक्टर के साथ उनकी बेटी को ससुराल में किसी पर बोझ नहीं बनना पड़ेगा। उनका ससुराल पक्ष भी किसान है, जिससे यह ट्रैक्टर उनके लिए काफी उपयोगी साबित होगा।

बेटी को ससुराल में कोई परेशानी न हो

वहीं सकील बेग ने इस फैसले को लेकर कहा कि उन्होंने यह कदम इसलिए उठाया ताकि उनकी बेटी के ससुराल में कोई परेशानी न हो। उनका यह निर्णय समाज में एक नया संदेश देता है कि दिखावे से ज्यादा वास्तविकता और व्यावहारिकता की अहमियत है। सकील बेग के परिवार के बाकी सदस्य भी इस फैसले से खुश हैं और इसे एक सकारात्मक पहल मानते हैं।

समाज में हो रही सराहना

सकील बेग के इस फैसले को समाज में व्यापक सराहना मिल रही है। हुमायूं मिर्जा, जो सकील बेग के परिजन हैं, ने इस निर्णय को बेहतरीन उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि एक किसान अपने परिवार की जरूरतों को समझते हुए और बिना किसी दिखावे के फैसले लेता है। इस फैसले से यह साबित होता है कि व्यावहारिक सोच और समझदारी ज्यादा महत्वपूर्ण है।

एक नई सोच का आगाज…

इस फैसले ने न केवल गाजियाबाद के क्षेत्र में, बल्कि समाज में भी एक नई सोच को बढ़ावा दिया है। यह एक उदाहरण है कि कैसे एक किसान अपने परिवार की भलाई के लिए सोच-समझ कर निर्णय लेता है। इस पहल से यह भी संदेश मिलता है कि किसी भी रिश्ते में आत्मनिर्भरता और समझदारी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

सकील बेग का यह फैसला न केवल परिवार के लिए एक उपहार था, बल्कि समाज को एक सकारात्मक संदेश देने वाला कदम भी था। इस पहल ने दिखा दिया कि समाज में बदलाव आ रहा है और लोग अपनी बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कदम उठा रहे हैं। यह एक प्रेरणा है, जो दूसरे परिवारों के लिए एक उदाहरण बन सकती है।

Latest News