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चीन-अमेरिका संबंधों का एकमात्र रास्ता है शांतिपूर्ण सहयोग

विदेश : नई अमेरिकी सरकार के सत्ता में आने के बाद चीन-अमेरिका संबंधों पर विश्व का ध्यान आकर्षित है। उधर, कुछ अमेरिकी राजनेता चीन के साथ “डीकॉप्लिंग” को प्रोत्साहित करने का भरसक प्रयास कर रहे हैं, ताकि चीन के आर्थिक विकास और तकनीकी प्रगति को दबाया जा सके। लेकिन, तथ्यों ने साबित कर दिया है.

विदेश : नई अमेरिकी सरकार के सत्ता में आने के बाद चीन-अमेरिका संबंधों पर विश्व का ध्यान आकर्षित है। उधर, कुछ अमेरिकी राजनेता चीन के साथ “डीकॉप्लिंग” को प्रोत्साहित करने का भरसक प्रयास कर रहे हैं, ताकि चीन के आर्थिक विकास और तकनीकी प्रगति को दबाया जा सके। लेकिन, तथ्यों ने साबित कर दिया है कि चीन के विकास में बाधा डालने के प्रयास अंततः विफल होंगे। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका को, “सहयोग और उभ्य जीत” की भावना से विश्व अर्थव्यवस्था की समृद्धि को संयुक्त रूप से बढ़ावा देना चाहिये।

चीन के साथ व्यापार संबंधों पर नई अमेरिकी सरकार चाहे जो भी नीति अपनाए, उसका विश्व अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा। यह दुनिया में चीन और अमेरिका के वजन और स्थिति से तय होता है। उधर, पूर्वी सभ्यता में वसुधैव कुटुम्बकम् की दार्शनिक अवधारणा स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करती है। मानव जाति के लिए साझा भविष्य वाले समुदाय के ढांचे के तहत सहयोग और जीत-जीत की अवधारणा विश्व शांति और समृद्धि के लिए अधिक अनुकूल है। जिसके तहत, चीन हमेशा शांतिपूर्ण विकास के मार्ग पर चलने के लिए संकल्पद्ध है। सुधार और खुलेपन की नीति को लागू करने के बाद से पिछले 40 वर्षों में, चीन ने आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया है और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में सक्रिय रूप से भाग लिया है। अपने खुद का विकास करने के साथ-साथ चीन ने विश्व में अन्य देशों के लिए भी विकास के विशाल अवसर प्रदान किए हैं।

अब चीन विश्व में 100 से ज़्यादा देशों का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने चीन में भारी निवेश किया है और दुनिया भर के 170 से ज़्यादा देशों ने चीन के साथ निवेश और व्यापार के लिए अपने दरवाज़े खोल दिए हैं। 146 से अधिक देशों को चीन के बुनियादी ढांचे के निवेश से लाभ हुआ है, जिसमें हाई-स्पीड रेलवे, बंदरगाह, ऊर्जा और अन्य क्षेत्र शामिल हैं। आर्थिक आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका के निरंतर दमन के बावजूद चीनी अर्थव्यवस्था का दुनिया से “डीकॉप्लिंग” नहीं हुआ है। इसके विपरीत, उनके बीच एकीकरण गहरा रहा है। महामारी से पहले, चीन का निर्यात दुनिया के कुल निर्यात का 12% रहा था, जबकि अब यह बढ़कर 14% तक बढ़ गया है। चीनी उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता इसकी अपेक्षाकृत कम श्रम लागत और औद्योगिक उन्नयन के परिणामों से उपजी है। 2023 में चीन-अमेरिका व्यापार में 17% की गिरावट आई, लेकिन मूल डेटा के अनुसार, अमेरिकी आयात में चीनी तत्वों वाले उत्पाद का अनुपात 20% से बढ़ कर 25% तक पहुंच गया, जो “डिकॉप्लिंग” की विफलता को पूरी तरह से प्रदर्शित करता है।

शांति काल में आर्थिक विकास ही सब कुछ है। चीन ने हमेशा आर्थिक विकास को अपना केंद्रीय कार्य माना है और मानव जाति के लिए साझा भाग्य वाले समुदाय की अवधारणा के अनुसार वैश्विक समृद्धि को बढ़ावा दिया है। चीन की जीडीपी 2024 में लगभग RMB 134.74 ट्रिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें वास्तविक आर्थिक विकास दर लगभग 5% होगी। चीन के आर्थिक विकास का लक्ष्य अमेरिका की स्थिति को प्रतिस्थापित करने के लिए नहीं है, और निश्चित रूप से चीन हमेशा निम्न-स्तरीय उत्पादों का आपूर्तिकर्ता बने रहने के लिए तैयार नहीं होगा। सबसे बड़े विकासशील देश और सबसे बड़े विकसित देश के रूप में, चीन और अमेरिका के लिए एकमात्र सही विकल्प सहयोग है।  

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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