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Maha Kumbh 2025 : जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने महाकुंभ को सबसे सुंदर, दिव्य और अविस्मरणीय आयोजन बताया

Maha Kumbh 2025 : जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने महाकुंभ को अब तक का सबसे सुंदर, दिव्य और अविस्मरणीय आयोजन बताया। उन्होंने महाकुंभ के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह आयोजन मानवता के लिए एक पवित्र अवसर है। उन्होंने कहा, ‘लोग चाहे जितनी भी आलोचना करें, लेकिन मैंने इस महाकुंभ में साक्षात.

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Maha Kumbh 2025 : जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने महाकुंभ को अब तक का सबसे सुंदर, दिव्य और अविस्मरणीय आयोजन बताया। उन्होंने महाकुंभ के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह आयोजन मानवता के लिए एक पवित्र अवसर है। उन्होंने कहा, ‘लोग चाहे जितनी भी आलोचना करें, लेकिन मैंने इस महाकुंभ में साक्षात अमृत योग का अनुभव किया है। त्रिवेणी संगम के पानी में जो अमरत्व और आध्यात्मिक शक्ति समाई है, उसे मैंने स्वयं अनुभव किया है।’ जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने महाकुंभ 2025 के प्रबंधन और भव्यता की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस बार का महाकुंभ हर दृष्टि से अद्वितीय है। मैं 1977 से कुंभ में आ रहा हूं, लेकिन इससे अधिक सुंदर और दिव्य कुंभ मैंने पहले कभी नहीं महसूस किया। यह आयोजन वास्तव में भव्यता, भक्ति और भारतीय संस्कृति का अद्भुत संगम है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आव्हान किया कि वे इस महाकुंभ का अधिक से अधिक लाभ उठाएं और न केवल स्नान करें, बल्कि संतों का सान्निध्य प्राप्त कर आध्यात्मिक ज्ञान भी अर्जित करें।

प्रतिदिन लाखों की संख्या में प्रयागराज पहुंच रहे हैं श्रद्धालु

प्रयागराज महाकुंभ में तीनों अमृत स्नान (मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी) के बाद भी श्रद्धालुओं और स्नानार्थियों के जोश और उत्साह में कोई कमी नहीं दिख रही है। पूरे देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से पवित्र त्रिवेणी में श्रद्धा और आस्था के साथ डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त करने के लिए श्रद्धालु प्रतिदिन लाखों की संख्या में प्रयागराज पहुंच रहे हैं। यदि अब तक के कुल स्नानार्थियों की संख्या का वेिषण करें तो सर्वाधिक 8 करोड़ श्रद्धालुओं ने मौनी अमावस्या पर स्नान किया था, जबकि 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति के अवसर पर अमृत स्नान किया था। एक फरवरी और 30 जनवरी को 2-2 करोड़ के पार और पौष पूर्णिमा पर 1.7 करोड़ श्रद्धालुओं ने पुण्य डुबकी लगाई, इसके अलावा बसंत पंचमी पर 2.57 करोड़ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई थी।

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