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World Radio Day 2025 : डिजिटल क्रांति के युग में रेडियो का क्रेज दुर्लभ होने के आसार पर

World Radio Day 2025 : आज रेडियो का नाम सुनते ही लोगों के ध्यान में सुनने वाला स्त्रोत ही नजर आता है। लेकिन पहले रेडियो जीवन रेखा और जीवन का अभिन्न अंग हुआ करता था। कभी घर-घर में पसंदीदा और मनोरंजन का प्रमुख स्त्रोत रेडियो ही हुआ करते थे। पहले के समय में रेडियो के.

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World Radio Day 2025 : आज रेडियो का नाम सुनते ही लोगों के ध्यान में सुनने वाला स्त्रोत ही नजर आता है। लेकिन पहले रेडियो जीवन रेखा और जीवन का अभिन्न अंग हुआ करता था। कभी घर-घर में पसंदीदा और मनोरंजन का प्रमुख स्त्रोत रेडियो ही हुआ करते थे। पहले के समय में रेडियो के अलावा मनोरंजन का कोई अन्य साधन नहीं था। रेडियो से समाचार, क्रिकेट कमेंट्री, महत्वपूर्ण कृषि संबंधी जानकारी और विश्व की घटनाओं की रिपोर्ट मिलती आसानी से मिल जाती थी।

खेतों पर भी रेडियो पर कार्यक्रम सुनने के साथ साथ किसान लोग अपना काम भी कर लेते थे। हालांकि यह सुविधा आज के समय मोबाइल फोन में भी उपलब्ध है। लोग सफर करते हुए कार में एफएम चालू करके देश दुनिया के खबर प्राप्त कर लेते थे। जैसे जैसे टेकनालॉजी बढ़ते गया रेडियो का क्रेज धीरे धीरे कम होते चला गया। मोबाइल फोन के बढ़ते प्रभाव के कारण रेडियो दुर्लभ होते चला जा रहा है।

रेडियो में गीतों को रुचि के साथ सुनते थे

पहले लोगों को कुछ भी सुनना होता था तो वह विविध भारती के कार्यक्रम, क्रिकेट कमेंट्री और सचित्र गीतों को रुचि के साथ सुनते थे। लेकिन, डिजिटल क्रांति आने के कारण रेडियो के उपयोग कम हो गया है और इसका स्थान स्मार्टफोन, इंटरनेट और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ने ले लिया है। दुनिया के साथ साथ देश में 13 फरवरी को ‘विश्व रेडियो दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर कभी हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग रहे रेडियो की यात्रा पर नजर डालना महत्वपूर्ण हो जाता है।

रेडियो ने इतिहास पर अपनी छाप छोड़ी

आज, 21वीं सदी में कई तकनीकी उपकरण विकसित हो चुके हैं। आपको बता दें कि रेडियो ने भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति को आकार देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रेडियो ने इतिहास पर अपनी छाप छोड़ी है। 1960 से 80 के दो दशकों में हर घर में मनोरंजन का एकमात्र साधन रेडियो ही था। हर घर की शुरुआत रेडियो पर भक्ति गीतों से होती थी। संगीत प्रेमियों के लिए एक लोकप्रिय कार्यक्रम था, जिसे अमीन सयानी की विशेष शैली में प्रस्तुत किया जाता था।

विविध भारती गीतों, साक्षात्कारों, विज्ञापनों और सूचनात्मक कार्यक्रमों के लिए महत्वपूर्ण था। आज लोग अपने मोबाइल फोन पर आईपीएल का लाइव अपडेट देखते हैं, ठीक उसी तरह जैसे पहले सभी क्रिकेट प्रशंसक रेडियो पर कमेंट्री सुनने के लिए उत्सुक रहते थे। मौसम पूर्वानुमान और कृषि कार्यक्रमों के कारण रेडियो किसानों के लिए सूचना का एक प्रमुख स्रोत था। इन आयोजनों का आकर्षण आज भी लोगों की पुरानी यादों में बसा हुआ है।

एफएम रेडियो अभी भी कई लोगों के जीवन का हिस्सा

पिछले दो दशकों में प्लेटफॉर्म के बढ़ते प्रभाव के कारण रेडियो के उपयोग में तेजी से गिरावट आई है। अब लोग स्पॉटिफाई, सावन, गाना, यूट्यूब, पॉडकास्ट और विभिन्न ऐप्स पर गाने सुनते हैं। इसी के चलते रेडियो श्रोताओं की संख्या में कमी आई है। फिर भी, एफएम रेडियो अभी भी कई लोगों के जीवन का हिस्सा बना हुआ है। प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण ऑनलाइन रेडियो, पॉडकास्ट और इंटरनेट रेडियो जैसे नए मीडिया का उदय हुआ है। बहुत से लोग अभी भी एफएम रेडियो सुनते हैं। कई लोग रेडियो की तरह ही पॉडकास्ट सुनना भी पसंद करते हैं।

 

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