जानिए इस कोठियों के शहर के बारे में, यहां मेडिकल हीलिंग के लिए पहुंचते थे राजा-महाराजा

आज के इस आधुनिक समय में पुराणी इमारतें कही खो रही है। हर कोई अपने घर नए तरीके से बनवा रहा है। लेकिन क्या आप जानते है कि पुराने समय में बंगाल से लेकर बांग्लादेश तक तक हर किसी ने अपना किला बनवाया हुआ था जिनके खंडहर आज भी यहां मौजूद हैं। जिसमें से रामकृष्ण.

आज के इस आधुनिक समय में पुराणी इमारतें कही खो रही है। हर कोई अपने घर नए तरीके से बनवा रहा है। लेकिन क्या आप जानते है कि पुराने समय में बंगाल से लेकर बांग्लादेश तक तक हर किसी ने अपना किला बनवाया हुआ था जिनके खंडहर आज भी यहां मौजूद हैं। जिसमें से रामकृष्ण मठ, सेनबाड़ी, पाल विला, तारा मठ, मुखर्जी विला, डीएन सरकार का किला मौजूद है।

कहा जाता है कि सिमुलतला का जो वातावरण है वह काफी अनोखा है और यहां के हवा में एक तरह की ताजगी का अनुभव होता है। इसीलिए लोग स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए अक्सर यहां आते थे। स्वामी विवेकानंद, सत्यजीत रे से लेकर कई ऐसे बड़े नाम शामिल हैं जो सिमुलतला में रहा करते थे और उनके भवन यहां आज भी मौजूद हैं। हालांकि स्वामी विवेकानंद ने जिस जगह प्रवास किया था वो जगह अब सिमुलतला आवासीय विद्यालय परिसर में चला गया है।

सिमुलतला के खुरंडा निवासी सत्तर वर्षीय बुजुर्ग प्रभु यादव बताते हैं कि स्वामी विवेकानंद ने यहां लंबे समय के लिए प्रवास किया था। स्वामी विवेकानंद वर्ष 1887 और वर्ष 1889 में सिमुलतला आए थे और उन्होंने यहां प्रवास किया था। तब उन्होंने कहा था कि सिमुलतला की जलवायु विश्व के सबसे बेहतर जलवायु में से एक है और यही कारण था कि वह सिमुलतला में ही बेलूर मठ की स्थापना भी करना चाहते थे। इसकी पूरी तैयारी भी हो गई थी। लेकिन उस वक्त सिमुलतला में आवागमन करना इतना सुगम नहीं था और जंगली क्षेत्र होने के कारण यहां हिंसक जीव के आने का भी खतरा लगा रहता था।

इसी कारण बाद में कोलकाता में बेलूर मठ की स्थापना की गई। हालांकि स्वामी विवेकानंद के इस प्रयास को बेलूर मठ के प्रथम अध्यक्ष ब्रह्मानंद महाराज ने साकार करने का प्रयास किया और वर्ष 1919 में यहां रामकृष्ण मठ की स्थापना की गई थी, जो आज भी यहां मौजूद है। सिमुलतला में जो पुरानी कोठियां थी उन्हें आज भी जिंदा रखा गया है। उन कोठियों को रंग रोगन और मरम्मती कर उन्हें होटल में तब्दील कर दिया गया है, जहां आज भी लोग रह सकते हैं। अगर आप सिमुलतला में घूमने का विचार कर रहे हैं तो यहां की कोठियां में रुकने का मजा उठा सकते हैं और इसके लिए आपको काफी कम पैसे भी खर्च करने पड़ेंगे।

सिमुलतला स्थित पंकज डेकोरेटर के मालिक सुबोध कुमार ने बताया कि इन सभी कोठियों के लिए उन्हें पहले से ही कांटेक्ट करना पड़ेगा। यहां के डॉ. एन एन गुहा विला में एक हजार रुपया प्रतिदिन के हिसाब से आपको पूरी कोठी किराए पर मिल जाएगी। जिसमें दो कमरा एक हॉल और गार्डन मिलेगा। वही अपराजिता कोठी में मात्र 500 रुपए में आपको दो कमरा मिल जाएंगे। लेकिन आपको सोने के लिए बेड नहीं मिलेगा। यहां भी बेड के साथ पूरी कोठी किराए पर लेने के लिए हजार रुपया तक प्रतिदिन के हिसाब से आपको किराया चुकाना पड़ेगा।

सिमुलतला के सरकार लॉज में तीन कमरा और हॉल के साथ गार्डन और पूरी कोठी किराए पर लेने के लिए आपको 12 सौ रूपये प्रतिदिन के हिसाब से किराया चुकाना होगा। लवली डे में निवास करने के लिए आपको एक हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से किराया चुकाना पड़ेगा और इसमें भी आपको दो कमरे तथा एक हॉल मिलेगा। लकी निवास में रहने के लिए आपको 15 सौ रूपये प्रतिदिन का किराया चुकाना पड़ेगा, इसमें आपको दो कमरा और एक हॉल दिया जाएगा।आराधना कोठी जिसे अपग्रेड करके रिजॉर्ट बना दिया गया है इसमें आप ठहर सकते हैं और इसके लिए आपको 4 हजार रुपए प्रति कमरा जो दो व्यक्तियों के लिए होगा, चुकाना पड़ेगा।

सिमुलतला पहुंचने के लिए कई अलग-अलग मार्ग है। अगर किसी भी एयरपोर्ट से आ रहे हैं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट देवघर में है, जहां आप उतरकर ट्रेन या सड़क मार्ग से सिमुलतला पहुंच सकते हैं। आप चाहे तो पटना एयरपोर्ट से भी उतरकर ट्रेन के रास्ते या सड़क मार्ग से सिमुलतला पहुंच सकते हैं। पटना से ट्रेन के रास्ते आपको सिमुलतला रेलवे स्टेशन जाना पड़ेगा, जहां उतरकर आप सिमुलतला जा सकते हैं और इसकी दूरी करीब 200 किलोमीटर के आसपास होगी।

वहीं सड़क मार्ग से भी सिमुलतला की दुरी पटना से करीब 200 किलोमीटर के आसपास है। पटना से जमुई के रास्ते झाझा होते हुए आपसे सिमुलतला पहुंच सकते हैं। वहीं अगर आप देवघर पहुंचे हैं तो देवघर से जसीडीह से करीब 20 मिनट की दूरी पर सिमुलतला रेलवे स्टेशन पड़ता है। वहीं अगर आप सड़क मार्ग से आना चाहे तो 38 किलोमीटर का सफर तय करके आप देवघर से सिमुलतला पहुंच सकते हैं।

अंग्रेजी सरकार के प्रथम भारतीय लॉर्ड एसपी सिंह की भी कोठी यहां मौजूद है, छोटी लाइन से ताल्लुक रखने वाले आर्यन मुखर्जी की भी कोठी यहां है। देश की आजादी के पहले जब कोलकाता ब्रिटिश हुकूमत का केंद्र था तो इसी मूलतला की कोठियां में बंगाली अधिकारी अपनी छुट्टियां मनाने आया करते थे।सिमुलतला एक ऐसी जगह है जहां लोग स्वास्थ्य लाभ और आराम के लिए जाते हैं, मिल दर मिल जंगल के रास्ते चलकर सिमुलतला पहुंच, पहाड़ियों पर जाकर लोग तरोताजा होकर वापस आते हैं।

मौन की ध्वनि, दूर तक आकाश, असंख्य टिमटिमाते सितारे और मनमोहक प्रकृतिक सुंदरता किसी को भी सिमुलतला जाने पर मजबूर कर देती है। सिमुलतला हिल स्टेशन इस वजह से भी खास है क्योंकि जब स्वामी विवेकानंद की तबीयत खराब हुई थी तब वह भी यहीं प्रवास किए थे। सिमुलतला का लट्टू पहाड़ पर स्वामी विवेकानंद ने ध्यान लगाया था। दुनिया को ज्ञान देने वाले स्वामी विवेकानंद की यात्रा के कारण उनके मानने वालों ने यहां रामकृष्ण मठ का भी निर्माण कराया जो आज भी मौजूद है।

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