Education Department : सरकार सरकारी स्कूलों को सुधारने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल से जो तस्वीर सामने आई है, वह हैरान करने वाली है। कम छात्र संख्या की वजह से 1453 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को बंद करने की नौबत आ गई है। जबकि सरकार हर साल इन स्कूलों में सुधार के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, इसके बावजूद ये स्कूल बच्चों को आकर्षित करने में असफल हो रहे हैं।
चार हजार स्कूलों में 50 से कम बच्चे
कुमाऊं मंडल में 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों की स्थिति बेहद खराब है।
प्राथमिक स्कूलों की स्थिति: मंडल में 50 से कम बच्चों वाले प्राथमिक स्कूलों की संख्या 3445 है। इसमें सबसे अधिक स्कूल अल्मोड़ा जिले में हैं, जहां 1206 स्कूल इस श्रेणी में आते हैं।
अन्य जिलों का विवरण:
- बागेश्वर: 542 स्कूल
- चंपावत: 305 स्कूल
- नैनीताल: 760 स्कूल
- पिथौरागढ़: 605 स्कूल
- ऊधमसिंह नगर: केवल 7 स्कूल
उच्च प्राथमिक स्कूलों की स्थिति: उच्च प्राथमिक स्कूलों में भी नैनीताल सबसे आगे है।
50 से कम बच्चों वाले स्कूलों का विवरण:
- नैनीताल: 181 स्कूल
- अल्मोड़ा: 164 स्कूल
- पिथौरागढ़: 124 स्कूल
- बागेश्वर: 99 स्कूल
- चंपावत: 71 स्कूल
- ऊधमसिंह नगर: 7 स्कूल
शिक्षा के गिरते स्तर के कारण उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या घटने की मुख्य वजह शिक्षा का गिरता स्तर है।
शिक्षकों की कमी:
- सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के बहुत से पद खाली पड़े हैं।
- योग्य शिक्षकों की कमी के कारण शिक्षा का स्तर नीचे गिर रहा है।
- मूलभूत सुविधाओं का अभाव:
- स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है।
- पानी, बिजली, शौचालय और किताबों जैसी सुविधाएं भी पूरी नहीं हैं।
अभिभावकों की धारणा:
अभिभावकों का मानना है कि निजी स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलती है।
इसी कारण वे अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने को मजबूर हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन:
- शिक्षा की खराब स्थिति के कारण गांवों से पलायन हो रहा है।
- लोग बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए शहरों की ओर जा रहे हैं।
रिक्त पदों पर नियुक्तियां:
- खाली पड़े शिक्षकों के पदों को भरने का काम किया जा रहा है।
- इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है।
- अभिभावकों की धारणा बदलने की जरूरत:
- सरकारी शिक्षा प्रणाली के प्रति विश्वास जगाने के लिए अभियान चलाने की आवश्यकता है।
- शिक्षा का स्तर बढ़ाना प्राथमिकता:
- शिक्षा में नई तकनीकों और मॉडर्न तरीकों को अपनाने की जरूरत है।
- स्कूलों को बच्चों और अभिभावकों के लिए आकर्षक बनाना होगा।
सरकारी स्कूलों में सुधार के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे
- अपर शिक्षा निदेशक एबी बलौदी के अनुसार, सरकारी स्कूलों में सुधार के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। कुमाऊं मंडल में सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाये जाएंगे। रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरने, मूलभूत सुविधाओं को दुरुस्त करने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने से ही इन स्कूलों की स्थिति बेहतर हो सकती है। अभिभावकों और समाज को भी सरकारी शिक्षा प्रणाली में विश्वास बनाए रखना होगा, ताकि बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सके।