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Beating Retreat Ceremony: धुनों से गूंज उठा विजय चौक, राष्ट्रपति- उपराष्ट्रपति और PM हुए शामिल, देखें VIDEO

Beating Retreat Ceremony ; नई दिल्ली : देश की राजधानी में एक ओर जहां दिल्ली चुनाव को लेकर तैयारियां तेजी से चल रही है। वहीं दूसरी और आज बुधवार  को दिल्ली के विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन हुआ, जो गणतंत्र दिवस के चार दिन चलने वाले समारोह का भव्य समापन था। इस अवसर पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और देश के अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…

पारंपरिक धुनों से सजी सेना की प्रस्तुति

आपको बता दें कि बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के बैंडों ने पारंपरिक धुनों की प्रस्तुतियां दीं। इस दौरान 30 भारतीय धुनों का प्रदर्शन हुआ, जिनमें से सभी पूरी तरह से स्वदेशी थीं। यह धुनें भारतीय सेनाओं के म्यूजिकल बैंड्स द्वारा बजाई गईं, जो दर्शकों के दिलों में देशभक्ति का जज़्बा भर देती हैं। विजय चौक की ऐतिहासिक इमारतों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया था, जिससे पूरे वातावरण में एक अद्भुत माहौल बना। समारोह के अंत में राष्ट्रगान के बाद राष्ट्रीय ध्वज को झुका दिया जाता है, जो इस परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

‘बीटिंग रिट्रीट’ का ऐतिहासिक महत्व

दरअसल, बीटिंग रिट्रीट की परंपरा राजा-महाराजाओं के समय से चली आ रही है, जब सेना दिनभर युद्ध करती थी और सूर्यास्त के बाद एक विशेष संगीत बजाया जाता था, जिसे बीटिंग रिट्रीट कहा जाता था। गणतंत्र दिवस के बाद इसी परंपरा के तहत इस कार्यक्रम का आयोजन होता है, जिसमें सूर्यास्त के बाद सैन्य बैंड और संगीत की प्रस्तुतियां होती हैं।

‘कदम कदम बढ़ाए जा’ से हुई शुरुआत

वहीं इस समारोह की शुरुआत ‘कदम कदम बढ़ाए जा’ धुन से हुई, जो भारतीय सैनिकों की वीरता और साहस को दर्शाती है। कार्यक्रम के समापन में ‘सारे जहां से अच्छा’ धुन के साथ समारोह की समाप्ति हुई, जो भारतीय प्रेम और एकता का प्रतीक है।

प्रमुख बैंड्स और उनके संचालक

इस कार्यक्रम के संचालक कमांडर मनोज सेबेस्टियन थे, जबकि विभिन्न बैंड्स के संचालकों की सूची इस प्रकार है:

1952 में शुरू हुई परंपरा

आपको बता दें कि बीटिंग रिट्रीट की परंपरा भारत में 1952 में शुरू हुई थी जब महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप भारत यात्रा पर आए थे। उस समय भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट ने सेनाओं के बैंड की प्रस्तुति आयोजित की थी, और तब से यह परंपरा लगातार चली आ रही है।

गणतंत्र दिवस समारोह का समापन

बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के साथ ही आधिकारिक तौर पर गणतंत्र दिवस समारोह का समापन होता है, जो देशवासियों के लिए एक ऐतिहासिक और सम्मानजनक घटना है। यह समारोह भारत की वीरता, गौरव और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बन चुका है।


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