ओटावा: भारत विरोधी नीतियों के लिए मशहूर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वह करीब 9 वर्षों तक कनाडा के प्रधानमंत्री रहे। पार्टी में बढ़ते आंतरिक असंतोष और उनकी लोकप्रियता में कमी आने के कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
इस्तीफा देने के बाद उन्होंने अपने बयान में कहा, कनाडा की लिबरल पार्टी हमारे महान देश और लोकतंत्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण संस्था है। एक नया प्रधानमंत्री और लिबरल पार्टी का नेता देश के मूल्यों और आदर्शों को अगले चुनाव में आगे बढ़ाएगा। मुझे अगले कुछ महीनों में इस प्रक्रिया को होते देख कर खुशी होगी। हमें 2021 में तीसरी बार चुनाव में चुना गया था, ताकि हम महामारी के बाद अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकें और एक जटिल दुनिया में कनाडा के हितों को आगे बढ़ा सकें। यही वह काम है जिसे हम कनाडाई लोगों के लिए जारी रखेंगे।
बता दें कि ट्रूडो 2015 से कनाडा के प्रधानमंत्री थे और उनके इस्तीफे के बाद लिबरल पार्टी में नए नेता की तलाश शुरू हो गई है। ट्रूडो के इस्तीफे से कनाडा में इसी साल चुनाव की संभावना भी बढ़ गई है।
इसके पहले ट्रूडो ने इस्तीफा देने से इंकार कर दिया था, लेकिन पार्टी ने उन पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया था और चेतावनी दी थी कि अगर वह इस्तीफा नहीं देंगे तो उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
ट्रूडो के इस्तीफे के बाद लिबरल पार्टी अब प्रधानमंत्री के पद पर कार्यभार संभालने के लिए एक अंतरिम नेता का चयन करेगी। इसके साथ ही पार्टी एक विशेष नेतृत्व सम्मेलन भी आयोजित करेगी, लेकिन यह प्रक्रिया आमतौर पर काफी समय लेती है। यदि चुनाव इससे पहले होते हैं, तो पार्टी को ऐसे प्रधानमंत्री के अधीन काम करना पड़ेगा, जिन्हें पार्टी सदस्य नहीं चुनेंगे। यह कनाडा के इतिहास में पहली बार होगा।