नई दिल्लीः कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने गुजरात को पाकिस्तान से आने वाले नशीले पदार्थों के तस्करों का केंद्र बना दिया है। विपक्षी पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सवाल किया कि वह राज्य में मादक द्रव्यों की तस्करी में बढ़ोतरी से निपटने के लिए क्या कर रहे हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने गुजरात में प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों से पहले उनसे कुछ प्रश्न पूछे हैं। रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, कि ‘गुजरात में बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों की तस्करी से हो रहे कारोबार में प्रधानमंत्री किसे बचा रहे हैं? गलत भूमि रिकॉर्ड के कारण प्रभावित हुए लाखों परिवारों के प्रति कौन जिम्मेदार है? भाजपा के इतने साल के शासन के बाद गुजरात अब भी पानी की कमी से क्यों जूझ रहा है?’’ उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने गुजरात को पाकिस्तान से आने वाले नशीले पदार्थों के तस्करों का केंद्र बना दिया है।
रमेश ने कहा, कि ‘कुछ ही दिन पहले भारतीय तटरक्षक बल, गुजरात आतंकवाद निरोधक दस्ते और स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) ने गुजरात के तट से (600 करोड़ रुपए मूल्य की) 86 किलोग्राम हेरोइन ले जा रही एक पाकिस्तानी नाव को जब्त किया था। दो दिन पहले गांधीनगर में दो, अमरेली में एक और राजस्थान के सिरोही में तीन प्रयोगशालाओं से 230 करोड़ रुपए मूल्य का मेफेड्रोन जब्त किया गया था।’’ उन्होंने कहा कि मार्च में 480 करोड़ रुपए के नशीले पदार्थ ले जा रहे पाकिस्तानी नागरिकों को पोरबंदर तट के पास से पकड़ा गया था और फरवरी में भारतीय नौसेना एवं एनसीबी ने हाल के इतिहास में नशीले पदार्थों के सबसे बड़े नेटवर्क का खुलासा करते हुए पोरबंदर के पास से 3,300 किलोग्राम मादक द्रव्य जब्त किए थे।
रमेश ने कहा कि कुछ मामलों में नशीले पदार्थों के साथ हथियार और गोला-बारूद भी जब्त किए गए हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, कि ‘अपने कार्यकाल के दौरान आतंकवाद और नशीले पदार्थों की तस्करी को कम करने के प्रधानमंत्री के दावों की सच्चाई इन चिंताजनक घटनाक्रम से उजागर होती है।’’ उन्होंने कहा, कि ‘गुजरात से नशीले पदार्थों की तस्करी में वृद्धि से निपटने के लिए प्रधानमंत्री क्या कर रहे हैं? नशीले पदार्थों की तस्करी में शामिल लोगों के व्यापक संबंधों की क्या कभी जांच की गई है? ये संबंध उन्हें अपने व्यापार को विशेष रूप से बंदरगाहों के जरिए इतनी बेशर्मी से चलाने में सक्षम बना रहे हैं।’’ रमेश ने आरोप लगाया कि गुजरात में भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल बनाने के भाजपा के विफल प्रयास के कारण लाखों परिवार संकट में पड़ गए हैं।
उन्होंने कहा कि दिसंबर 2021 तक राज्य सरकार को अपनी भूमि के पुनर्सव्रेक्षण के सत्यापन की मांग करने वाले परिवारों से पांच लाख से अधिक शिकायतें प्राप्त हुई थीं। रमेश ने कहा, कि ‘पुनर्सव्रेक्षण करने के लिए नियुक्त की गई निजी एजेंसियों ने बार-बार लापरवाही बरती जिसके परिणामस्वरूप लाखों गलत रिकॉर्ड तैयार हुए। इन गलत रिकॉर्ड के व्यापक प्रभाव हो सकते हैं, संपत्ति लेन-देन में देरी से लेकर किसानों की ऋण तक पहुंच में बाधा, परिवारों के भीतर और पड़ोसियों के बीच विवाद आदि।’’ उन्होंने कहा कि सबसे भयंकर परिणाम यह हो सकता है कि संपत्ति के रिकॉर्ड पर मुकदमेबाजी दशकों तक चल सकती है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग की 2017 में आई एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि भारत में भूमि विवादों को हल करने में औसतन 20 साल लगते हैं।
उन्होंने कहा, कि ‘सरकार ने निजी एजेंसियों पर दोष मढऩे में जल्दबाजी की लेकिन प्रभावित हुए लाखों परिवारों की मदद के लिए कोई प्रयास नहीं किया। एजेंसियों को खुली छूट दे दी गई है।’’ रमेश ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री ने उन लाखों परिवारों को उनके हाल पर क्यों छोड़ दिया जो अब गलत भूमि रिकॉर्ड के कारण फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा, कि ‘क्या इस गलती के लिए जिम्मेदार लोगों पर कोई कार्रवाई होगी?’’ रमेश ने कहा कि आज जब प्रधानमंत्री गुजरात दौरे पर जा रहे हैं तो उन्हें राज्य में जल संकट पर अवशय़ ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, कि ‘गुजरात के 207 जलाशयों में जल स्तर चिंताजनक रूप से 62.38 प्रतिशत है। राज्य में केवल 10 जलाशयों में जल स्तर 80 प्रतिशत से अधिक है। क्षेत्रवार ढंग से देखने पर और भी चिंताजनक तस्वीर सामने आती है: उत्तरी गुजरात के 15 जलाशयों में जल स्तर 43.77 प्रतिशत, कच्छ के 20 जलाशयों में 38.31 प्रतिशत और सौराष्ट्र के सूखाग्रस्त क्षेत्र के 141 जलाशयों में यह 36.42 प्रतिशत है।’’
उन्होंने कहा, कि ‘राज्य के कुछ जलाशय गर्मी शुरू होने से पहले ही सूख गए थे। देवभूमि द्वारका में गढ़की एवं सानी, पोरबंदर में अडवाना एवं अमीपारा और जूनागढ़ में प्रेमपारा का जलस्तर शून्य पर पहुंच गया है।’’ रमेश ने कहा कि गुजरात के लोगों के लिए पीने के पानी की कमी के अलावा यह संकट उन किसानों को भी प्रभावित कर रहा है जिन्हें नर्मदा से सिंचाई के पानी की आपूर्ति का वादा किया गया था लेकिन वर्षों के भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के कारण वे लाभ पाने से वंचित रहे हैं। उन्होंने कहा, कि ‘भाजपा के शासन में गुजरात की यह हालत क्यों हो गई है? प्रधानमंत्री इन मुद्दों से कैसे निपटेंगे?’’ रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री को इन मुद्दों पर ‘चुप्पी तोड़नी चाहिए’।