नई दल्ली : दिल्ली में नवरात्रि के दौरान मीट की दुकानों को बंद करने की मांग को लेकर सियासी विवाद बढ़ता जा रहा है। पटपड़गंज से भारतीय जनता पार्टी के विधायक रवीन्द्र नेगी ने नवरात्रि के मौके पर मीट की दुकानों को बंद करने की मांग की है। उनका कहना है कि नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है और मंदिरों के आसपास मीट की दुकानें होने से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है। इसलिए, उन्होंने पटपड़गंज क्षेत्र में मंदिरों के पास स्थित मांस की दुकानों को बंद भी करवा दिया है। वहीं अब आप नेता संजय सिंह ने बीजेपी नेता के बयान पर पलटवार करते हुए जवाब दिया है। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…
आप नेता का पलटवार
भाजपा नेता नेगी के बयान का पलटवार करते हुए आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अगर किसी को मीट की दुकानों को बंद करने की इतनी हिम्मत है, तो उन्हें KFC जैसे बड़े फास्ट फूड स्टोरों को बंद करने की चुनौती देनी चाहिए। संजय सिंह ने इस मुद्दे को लेकर विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि यह धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश है और उन्होंने इस मुद्दे पर राजनीति करने वालों को आड़े हाथों लिया।
#WATCH | Delhi: On BJP MLA Ravinder Singh Negi’s statement that meat shops in Delhi should be closed during Navratri, AAP MP Sanjay Singh says, ” Here there are Embassies of various countries, there, meat and fish are cooked. There are so many guest houses in Delhi from various… pic.twitter.com/QJuhbyi7be
— ANI (@ANI) March 27, 2025
शांति और सौहार्द की अपील
संजय सिंह का कहना था कि मीट की दुकानों को बंद करने के बजाय समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने की आवश्यकता है। उनका मानना है कि इस तरह के मुद्दे राजनीति का हिस्सा नहीं बनने चाहिए। इसके बजाय, हमें समाज में सामूहिक सहमति और समझौते की भावना को बढ़ावा देना चाहिए।
नौटंकी पर सवाल
संजय सिंह ने इस विवाद पर और भी तीखा आरोप लगाया और कहा कि एक तरफ भाजपा नेता मीट की दुकानों को बंद करने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के नेता मुस्लिम समाज के साथ इफ्तार पार्टियों का आयोजन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीएम रेखा गुप्ता और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दी जाने वाली “सौगात-ए-मोदी” किट के साथ मुस्लिम समाज के पास नहीं जाएंगे। उनका तर्क था कि जब भाजपा के नेता मुस्लिम समाज के साथ इफ्तार करते हैं और एनडीए के नेता इस आयोजन का हिस्सा बनते हैं, तो इस तरह के बयान और विवाद राजनीति का हिस्सा क्यों बने हैं?
सियासी माहौल में बढ़ती बहस
इस बयानबाजी ने मीट दुकान विवाद को और तूल दे दिया है और यह मुद्दा अब दिल्ली की राजनीति में एक नई बहस का कारण बन चुका है। एक ओर जहां भाजपा के विधायक धार्मिक भावनाओं को आधार बनाकर मीट दुकानों को बंद करने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इस मुद्दे को धर्म के नाम पर राजनीति करने की कोशिश मान रहा है। अब देखना यह होगा कि यह विवाद दिल्ली की राजनीति में और किस दिशा में बढ़ता है और इस पर आने वाले दिनों में क्या निर्णय लिया जाता है।