महिला विकास से महिला नेतृत्व वाले विकास की ओर बढ़ रहा है देश : Droupadi Murmu

इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगर समान अवसर दिए जाएं तो लड़कियों में लड़कों से बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता है।

बरहामपुरः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि देश अब महिला विकास के चरण से महिला नेतृत्व वाले विकास की ओर बढ़ रहा है। द्रौपदी मुर्मू ने आज भंजा बिहार में बरहामपुर विश्वविद्यालय के 25वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगर समान अवसर दिए जाएं तो लड़कियों में लड़कों से बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता है। उन्होंने कहा, कि ‘साहित्य, संस्कृति, नृत्य और संगीत में महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही है और हमारी बेटियों की क्षमता विज्ञान और प्रौद्योगिकी से लेकर पुलिस और सेना तक हर क्षेत्र में दिखाई देती है।’’

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि ओडिशा के दक्षिणी क्षेत्र का केवल ओडिशा के इतिहास में ही नहीं बल्कि भारत के इतिहास में भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। यह भूमि शिक्षा, साहित्य, कला और शिल्प से समृद्ध है। इस क्षेत्र के पुत्र कबी सम्राट उपेन्द्र भंजा और कबीसूर्य बलदेव रथ ने अपनी लेखनी से उड़यिा के साथ-साथ भारतीय साहित्य को भी समृद्ध किया है। यह भूमि अनेक स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों और जनसेवकों की जन्मस्थली तथा कर्मभूमि भी रही है। द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि वर्ष 1967 में स्थापित बरहामपुर विश्वविद्यालय ओडिशा के दक्षिणी हिस्से का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। उन्होंने इस आदिवासी बहुल क्षेत्र की शिक्षा और विकास में विश्वविद्यालय की भूमिका की सराहना की हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि विश्वविद्यालय की 55 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थी लड़कियां हैं। इतना ही नहीं, स्वर्ण पदक विजेताओं में 60 प्रतिशत लड़कियां हैं और शुक्रवार को डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाले शोधकर्ताओं में भी आधी लड़कियां हैं जो लैंगिक समानता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि दीक्षांत समारोह केवल डिग्री प्राप्त करने का उत्सव नहीं है। यह उनकी कड़ी मेहनत और सफलता को पहचानने का भी उत्सव है जो नये सपनों और संभावनाओं के द्वार खोलता है। उन्होंने कहा कि डिग्री हासिल कर लेना शिक्षा का अंत नहीं है और छात्रों से जीवन भर सीखने का जज्बा बनाये रखने को कहा। उन्होंने उनसे अपने ज्ञान और बुद्धिमत्ता का उपयोग न केवल अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी करने और राष्ट्र निर्माण के बारे में सोचने का आग्रह किया।

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