Delhi riots mastermind Tahir Hussain; नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाग लेने के लिए आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से 6 दिन की सशर्त कस्टडी पैरोल मिली है। ताहिर हुसैन इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM से मुस्तफाबाद सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। आइए जानते है कि किस शर्त पर सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी ताहिर को सशर्त पैरोल दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा…
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि ताहिर हुसैन को 29 जनवरी से 3 फरवरी तक दिन में 12 घंटे के लिए चुनाव प्रचार के लिए रिहा किया जाएगा। हालांकि, रात को उन्हें वापस जेल लौटना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि ताहिर को चुनाव प्रचार के लिए सुरक्षा खर्च के तौर पर हर दिन 2.47 लाख रुपये देने होंगे, जो कि 6 दिन में 14.82 लाख रुपये होंगे।
ताहिर हुसैन को मिली पैरोल पर शर्तें
- पुलिस कस्टडी में रिहाई: ताहिर हुसैन पुलिस कस्टडी में जेल से बाहर आएंगे।
- दिन में 12 घंटे प्रचार: उन्हें केवल 12 घंटे प्रचार करने की अनुमति है। रात को जेल लौटना होगा।
- घर न जाने की शर्त: ताहिर मुस्तफाबाद स्थित अपने घर नहीं जा सकेंगे, बल्कि होटल में रहेंगे।
- पुलिस सुरक्षा: चुनाव प्रचार के दौरान उनके साथ पुलिस अधिकारी होंगे।
- खर्च खुद उठाना होगा: ताहिर को पुलिस सुरक्षा गार्ड, जेल वैन आदि का खर्चा खुद उठाना पड़ेगा।
ताहिर हुसैन के वकील का बयान
ताहिर हुसैन के वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने बताया कि चुनाव प्रचार के लिए सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं और ताहिर को मुस्तफाबाद सीट से प्रचार करने के लिए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी वादा किया कि ताहिर अपने घर नहीं जाएंगे और होटल में रहेंगे, जिसकी पूरी जानकारी कोर्ट को दी जाएगी।
ASG एसवी राजू का विरोध
वहीं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने ताहिर हुसैन की पैरोल याचिका का विरोध किया। उनका कहना था कि दिल्ली दंगों में ताहिर हुसैन की भूमिका गंभीर थी और अगर इस पैरोल को मंजूरी दी गई, तो हर कोई जेल से चुनाव प्रचार करने जाएगा। बता दें कि ताहिर हुसैन दिल्ली दंगों के आरोप में 4 साल 9 महीने से जेल में बंद हैं। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने 14 जनवरी को उन्हें पैरोल दी थी, लेकिन चुनाव प्रचार के लिए जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद ताहिर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
दिल्ली दंगे: कारण और प्रभाव
दरअसल, दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में दंगे भड़के थे। यह दंगे नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के विभिन्न इलाकों में फैले थे, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 250 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस दंगे में 520 FIR दर्ज की गई थीं।
ताहिर हुसैन की भूमिका
क्राइम ब्रांच ने ताहिर हुसैन को चांद बाग हिंसा में मास्टरमाइंड बताया था, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी की गई। इस मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट में दो चार्जशीट दायर की गईं थीं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा ताहिर हुसैन को चुनाव प्रचार के लिए पैरोल देने के बावजूद, यह शर्तें उनके लिए चुनौतीपूर्ण होंगी। यह कदम दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक नई राजनीतिक दिशा का संकेत है।