विज्ञापन

चीफ इंजीनियर के घर ED की रेड, करोड़ों रुपये जब्त… मंगाई गई नोट गिनने वाली मशीन

नेशनल डेस्क : दिल्ली में हाई कोर्ट के जज के घर से कुछ दिन पहले जले हुए नोटों की बड़ी मात्रा का मिलना अभी तक सुर्खियों में है ही, और अब एक और बड़ा मामला बिहार से सामने आया है। दरअसल, बिहार में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भवन निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर तारिणी दास.

- विज्ञापन -

नेशनल डेस्क : दिल्ली में हाई कोर्ट के जज के घर से कुछ दिन पहले जले हुए नोटों की बड़ी मात्रा का मिलना अभी तक सुर्खियों में है ही, और अब एक और बड़ा मामला बिहार से सामने आया है। दरअसल, बिहार में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भवन निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर तारिणी दास के घर पर बड़ी छापेमारी की है। इस छापेमारी के दौरान करोड़ों रुपये की बेहिसाब नकदी जब्त की गई है। ED अधिकारियों ने तारिणी दास के पटना स्थित आवास पर सर्च ऑपरेशन चलाया और बड़ी मात्रा में नकद राशि बरामद की। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…

छापेमारी के दौरान करोड़ों रुपए हुए जब्त 

आपको बता दें कि ED के द्वारा यह कार्रवाई सरकारी टेंडर को मैनेज करने के मामले में की जा रही है। पटना स्थित पूर्णेंदु नगर में उनके आवास पर छापेमारी की गई, जिसमें करोड़ों रुपये जब्त किए गए हैं। EDके अधिकारी इस समय जब्त किए गए नोटों की गिनती कर रहे हैं, और इस मामले को लेकर जांच जारी है। बता दें कि इन नोटों की गिनती करने के लिए ED को नोट गिनने की मशीन भी मंगानी पड़ी है। ED की यह छापेमारी IAS अधिकारी संजीव हंस से जुड़ी हुई है। संजीव हंस का नाम पिछले साल उस समय चर्चा में आया था जब ईडी ने उन्हें पटना के सरकारी आवास से गिरफ्तार किया था। संजीव हंस का नाम एक बड़े टेंडर घोटाले में सामने आया था, जिसके बाद उन्हें विवादों का सामना करना पड़ा। वह उस समय बिहार के ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव थे और 1997 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी हैं।

संजीव हंस पर आरोप

संजीव हंस बिहार में एक जाना-पहचाना नाम रहे हैं। उन्होंने अपने प्रशासनिक करियर की शुरुआत SDM बांका के रूप में की थी और इसके बाद बिहार के कई जिलों में जिलाधिकारी के रूप में कार्य किया। वह कई महत्वपूर्ण विभागों में सचिव के तौर पर तैनात रहे और उनकी आखिरी तैनाती बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड के CMD के रूप में थी। लेकिन जब से ED ने उनके घर पर छापेमारी की और उन्हें गिरफ्तार किया, तब से उनका नाम विवादों में है। ED द्वारा की गई छापेमारी के बाद सरकार ने संजीव हंस को उनके विभागों से हटा दिया और उन्हें वेटिंग फॉर पोस्टिंग पर रख दिया। संजीव हंस पर आय से अधिक संपत्ति और एक महिला वकील के साथ शारीरिक शोषण के आरोप भी लगे हैं, जिससे यह मामला और भी जटिल हो गया है।

भविष्य में क्या होगा ?

ED की इस बड़ी कार्रवाई ने बिहार में सत्ता और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच एक नई बहस को जन्म दे दिया है। यह मामला सरकारी टेंडर घोटाले से लेकर भ्रष्टाचार और शारीरिक शोषण के आरोपों तक फैला हुआ है, जो आने वाले समय में राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में और चर्चा का विषय बनेगा।

Latest News