हमारे पास दूसरे दलों के अच्छे बंदे आ रहे हैं, जो एक गलत निकल गया उसे 4 जून को लग जाएगा पता : CM Mann

ठीक उसी तरह जिस तरह उसने पहले आजादी की लहर को और फिर हरे इंकलाब यानी हरित क्रांति को लीड किया था।

चंडीगढ़ (पामिल भाटिया) : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान मानते हैं कि पंजाब इस बार के आम चुनावों में पूरे देश को लीड करेगा। चुनाव की दिशा तय करेगा। ठीक उसी तरह जिस तरह उसने पहले आजादी की लहर को और फिर हरे इंकलाब यानी हरित क्रांति को लीड किया था। दैनिक सवेरा टीवी के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने एक ओर जहां केंद्र सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि उन्हें न तो ईडी से डराया जा सकता है, न ही खरीदा जा सकता है, वहीं यह भी कहा कि देश में पहली बार पंजाब में ऐसा हुआ कि सरकार ने प्राइवेट थर्मल प्लांट खरीद लिया, खुद कोयला खान चलाई, 90 प्रतिशत घरों को बिजली मुफ्त दी, पहली बार किसानों को दिन में बिजली दी और अब उद्योगों को भी सस्ती बिजली का तोहफा मिलेगा। पेश हैं उनके साथ हुए सवाल जवाब:

इस समय पंजाब की सारी पार्टियां एक-दूसरे के असंतुष्ट नेताओं को तोड़कर टिकट देने में लगी हुई हैं। आपको जालंधर में (सांसद सुशील रिंकू के जाने से) इसका बुरा तजुर्बा भी हो चुका है तो क्या लगता है कि इस रणनीति से नुक्सान हो रहा है?

दूसरी पार्टियों में जरूरी नहीं कि सारे बंदे बुरे हों। जो अच्छे बंदे हैं, वे कहां जाएंगे। केजरीवालजी ने जब दिल्ली में पार्टी शुरू की थी तो दूसरे दलों के अच्छे नेताओं को भी शामिल होने का न्यौता दिया था। ऐसे लोग आ रहे हैं। और भी आएंगे। एक बंदा गलत निकल आया तो क्या हुआ, उसे भी इस बार 4 जून को पता लग जाएगा। इससे पहले सुखपाल खैरा भी गए थे, आज कहां हैं। संगठन बड़ा होता है, व्यक्ति बड़ा नहीं होता है। और वह उस बीजेपी में जाकर क्या कर लेंगे जहां शिवराज सिंह, वसुंधरा राजे, कैप्टन अमरेंद्र सिंह, सुनील जाखड़ की ही कद्र नहीं हो रही हो। फिर ये चुनाव में जाएंगे तो लोग खुद पूछेंगे कि पिछले बार वहां क्यों गए थे, पार्टी ने क्या कमी कर दी थी। मैंने तो उन्हें जिताने के लिए जालंधर में रात दस-दस बजे तक रोड शो किए थे, मैं भी आहत हूं मगर असली दिल तो लोगों का टूटा है।

तो क्या इस बार भगवंत मान रोड शो करेंगे, क्या सुशील रिंकू और शीतल अंगुराल को जवाब देंगे?

मैं कोई उन्हें हराने के लिए थोड़े-ही लड़ रहा हूं, मैं तो जालंधर को जिताने आऊंगा।

अब तो चरणजीत सिंह चन्नी भी जालंधर आ गए हैं, उनसे भी मुकाबला होगा?

तो क्या, चाहें जितने भी आना चाहें आ जाएं। हमने जालंधर में इतने काम कराए हैं। हमने अरविंद केजरीवाल जी के साथ वहां रैली भी कर ली। चार प्रोजैक्ट शुरू हो गए। आदमपुर वाली रोड बन गई। बड़ा पिंड जंडियाला वाली रोड बन गई। जालंधर के लोग अपने साथ हैं।

संगरूर में हम जीतेंगे, अब सरकार के काम लोगों के पास पहुंच चुके हैं

मुख्यमंत्री बनने पर आपने संगरूर को पंजाब की राजनीतिक राजधानी बताया था, लेकिन वहां लोकसभा चुनाव हार गए थे। क्या इस बार संगरूर को जीतना चुनौतीपूर्ण लग रहा है?

संगरूर के लोगों का आदेश सिर माथे, उन्हें किसी को जिताने-हराने का हक है। जब उपचुनाव हुआ, उस समय सरकार नई-नई बनी थी लेकिन इस बार संगरूर के लोगों के पास सरकार के काम पहुंच गए हैं। अब लोग देख रहे हैं, घर में बिजली के बिल नहीं आ रहे हैं। पानी आने लगा है। खेतों को दिन में बिजली मिलने लगी है। सारे विधायक हमारे हैं, तीन तो मंत्री ही हैं, चीमा साहिब, मीत और अमन अरोड़ा। हम आसानी से जीतेंगे।

अमृतसर को ड्राई पोर्ट बनाकर एयर कार्गो से पंजाब के प्रोडक्ट भेजने चाहिएं

पंजाब के सरहदी इलाकों में पाकिस्तान के जरिए व्यापार खोलने का मुद्दा जरूर उठता है। अमृतसर से भाजपा उम्मीदवार तरनजीत सिंह संधू तो कहते हैं कि मिडल ईस्ट तक व्यापार बढ़ाया जाएगा, पंजाब के मुख्यमंत्री इस बारे में क्या सोचते हैं?

पाकिस्तान से आए दिन ड्रोन आ रहे हैं, इनके जरिए ड्रग्स, पिस्तौल, पैसा आ रहा है। पंजाब पुलिस बीएसएफ के साथ मिलकर इन्हें पकड़ती है। बाड़ तो हमने ही लगाई है, उन्होंने तो नहीं लगाई है। अगर सिल्क रूट को दोबारा शुरू करना है तो प्रधानमंत्री सबसे पहले पाकिस्तान को गाली देना तो बंद करें, व्यापार कैसे शुरू करेंगे। हम उनके साथ क्रिकेट तो खेलते नहीं हैं। इतनी तारों और सुरक्षा के बावजूद वे कश्मीर और दूसरी जगह अपने बंदे (घुसपैठिये) भेज रहे हैं, वे यहां नुक्सान करा रहे हैं, उनके साथ भला व्यापार कैसे हो सकता है।

तो आपका मानना है कि पाकिस्तान के साथ व्यापार नहीं हो सकता है?

व्यापार क्यों नहीं हो सकता, एयर कार्गो से शुरू करो। अमृतसर में हजारों कामगार हैं, उन्हें काम मिलेगा। अमृतसर को ड्राई पोर्ट बना दो, मिडल ईस्ट तक व्यापार करो। वहीं क्यों उज्बेकिस्तान, कजाकस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिया भी अपना दूध, फल-सब्जियां और दूसरे उत्पाद भेजो। वे लोग लैटिन अमरीकी देशों ब्राजील, अज्रेंटीना वगैरा से माल मंगाते हैं। वहां से माल आने में दस-पंद्रह घंटे लगते हैं, अमृतसर से तो एक घंटे में माल पहुंच जाएगा। ऐसा न हो कि बार्डर खोलकर वे यहां अपने आतंकी भेजने लगें, यहां बम फटने लगें तो सबसे पहले नुक्सान हमारा ही होगा।

तो आपको लगता है कि सरहदी इलाकों से पाकिस्तान के लिए व्यापार खोलने की जरूरत नहीं है?

मैं तो यह कहता हूं कि हमारे सरहदी इलाके में कारखाने लगाने की बहुत जरूरत है। क्यों नहीं वहां उद्योग लगवाए जाते। वहां के लोगों को अपने घर के पास काम मिलेगा। हम तो उद्योगपतियों से यही कहते हैं कि वहां फैक्टरियां लगाओ। अमृतसर में एयरपोर्ट है और सरहदी इलाकों में हाईवे भी बन चुका है। हम सरहदी इलाकों में फैक्टरियां लगवाएंगे भी। उन्हें इंसैंटिव भी देंगे।

पंजाबियों की सांझ पर मुझे मान है, बीजेपी ध्रुवीकरण कर नहीं पाएगी

बीजेपी को लग रहा था कि पंजाब में राम मंदिर मुद्दे पर उसे राजनीतिक लाभ मिलेगा, मगर किसानों का आंदोलन राम मंदिर पर भारी पड़ गया, आप इस चीज को कैसे देखते हो?

पंजाब में कमाल की सामाजिक सांझ है, यहां कभी मतों का ध्रुवीकरण नहीं हो सकता है। इन्होंने पहले भी बहुत कोशिश की मगर कामयाब नहीं हुए। हम यहां सारे त्योहार, गुरु पर्व, होलीदिवाली, रामनवमी-हनुमान जयंती मिलकर मनाते हैं। ये हमारी सामाजिक सांझ नहीं तोड़ सकते। जैसे, हमारे यहां आनंदपुर साहिब एक धार्मिक सीट भी है, लेकिन वहां का सांसद मनीष तिवारी एक ब्राह्मण है। फरीदकोट को पंथक हलका कहा जाता है, मगर वहां के एमपी मोहम्मद सदीक हैं। पंजाब के लोग नाम या पंथ नहीं देखते, बल्कि यह देखते हैं कि बढ़िया बंदा कौन है, मुङो पंजाबियों की इस सोच पर मान है कि वे कभी सामाजिक सांझ को टूटने नहीं देते। लंगर चलता रहता है, इसे कभी तोड़ने नहीं देते। भाजपा को लगता हो कि वह राम मंदिर या किसी और मुद्दे पर वह लोगों को बांट लेगी तो यह उसकी गलतफहमी है। हां, किसानों के मुद्दे पर उनका दिल्ली जाने का हक है। ये उन्हें आगे बढ़ने ही नहीं दे रहे।

सवाल यह है कि एमएसपी का मुद्दा अभी तक हल नहीं हुआ, क्या राज्य सरकार इस पर कुछ कर सकती है?

हम तो सिफारिश ही कर सकते हैं, एमएसपी की सिफारिश कर दी है, देना केंद्र ने है। हम तो इस बार 130 लाख मीट्रिक टन गेहूं केंद्रीय पूल में देंगे। दो सौ लाख मीट्रिक टन हम धान भेजते हैं। तो यह गेहूं-चावल उगाने वाला यह जब कहने दिल्ली जाता है कि हमारा भाव ठीक कर दो तो तुम (केंद्र) उस पर गोली चलाने लगते हो। उस पर केस दर्ज करा देते हो। मुझसे दिल्ली के पत्रकार पूछते हैं कि किसान दिल्ली क्यों आते हैं, तो मैंने जवाब दिया, मोदी दिल्ली क्यों आए। वे कहते हैं, मोदी तो जीतकर आए हैं। तो मैंने कहा कि वे दिल्ली इसलिए आए कि देश दिल्ली से चलता है, तो किसान भी अपनी समस्याएं लेकर दिल्ली ही आएंगे। क्या मैं उन्हें लाहौर भेज दें? तुम दिल्ली के मालिक हो, वे किसानों को दिल्ली नहीं बढ़ने दे रहे, किसान पिंडों के मालिक हैं, वे इन्हें अपने गांवों में नहीं बढ़ने देंगे। मैं तो किसानों के लिए रात दो-दो बजे तक बैठकों में बैठा रहा। मैंने तो साफ कह दिया कि इनकी मांगें मान लो, अगर नहीं माननी हैं तो क्यों इन्हें अन्नदाता कहते हो, क्यों इन पर सीधे गोलियां चलाते हो। हम तो यही चाहते हैं कि किसानों को अपना भाव मिले, व्यापारियों को व्यापार करने का मौका मिले, आढ़तियों को अपनी आढ़त फीस मिले। केंद्र ग्रामीण विकास फंड (आरडीएफ) का हमारा 5500 करोड़ रुपए रोके बैठा है। यह मंडियों का पैसा है।

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