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Cab ड्राइवरों की बल्ले-बल्ले, Ola- Uber के छूटेंगे पसीने… आ रही सरकारी Taxi सर्विस

नेशनल डेस्क : आजकल हम सभी अपने सफर के लिए ओला, उबर जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं। इन ऐप्स के जरिए गाड़ी बुक करना आसान होता है, लेकिन इसका एक बड़ा नकरात्मक पहलू यह है कि हमें कभी-कभी अधिक पैसे चुकाने पड़ते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि ये प्लेटफॉर्म कमीशन वसूलते हैं।.

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नेशनल डेस्क : आजकल हम सभी अपने सफर के लिए ओला, उबर जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं। इन ऐप्स के जरिए गाड़ी बुक करना आसान होता है, लेकिन इसका एक बड़ा नकरात्मक पहलू यह है कि हमें कभी-कभी अधिक पैसे चुकाने पड़ते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि ये प्लेटफॉर्म कमीशन वसूलते हैं। ड्राइवरों को हर बुकिंग पर इन ऐप्स को कमीशन देना होता है, जिससे उनकी कमाई पर भी असर पड़ता है। वहीं अब सरकार इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में घोषणा की है कि सरकार एक कोऑपरेटिव मॉडल पर आधारित नई टैक्सी सेवा लॉन्च करने की योजना बना रही है। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…

प्राइवेट कंपनियों को मिलेगी चुनौती

सरकार द्वारा प्रस्तावित कोऑपरेटिव-रन टैक्सी सेवा ओला और उबर जैसी प्राइवेट कंपनियों को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार की जा रही है। इस नए मॉडल का मुख्य उद्देश्य ड्राइवरों को ज्यादा लाभ और सशक्तिकरण देना है। वर्तमान में, कैब एग्रीगेटर्स (जैसे ओला और उबर) ड्राइवरों से भारी कमीशन वसूलते हैं, जिससे उनकी आय सीमित हो जाती है। लेकिन इस नए सरकारी मॉडल में, ड्राइवरों को सीधे मुनाफा मिलेगा और उन्हें किसी निजी कंपनी को कमीशन नहीं देना पड़ेगा।

कैब ड्राइवरों को होगा लाभ

अमित शाह ने बताया कि इस कोऑपरेटिव कैब सर्विस से सबसे बड़ा फायदा टैक्सी चालकों को होगा। वर्तमान में ओला और उबर जैसे प्लेटफार्म्स ड्राइवरों से 20-30% तक कमीशन लेते हैं, जबकि सरकारी कोऑपरेटिव मॉडल में यह कमीशन बहुत कम होगा। इसके अलावा, ड्राइवरों को सामाजिक सुरक्षा जैसी सुविधाएं मिलेंगी, जैसे कि स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना बीमा और पेंशन। इस मॉडल में मुनाफे का एक हिस्सा ड्राइवरों को मिलेगा, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।

प्राइवेट कंपनियों की समस्याएं

ओला और उबर जैसी कंपनियों को भारतीय बाजार में अपनी मजबूत पकड़ तो है, लेकिन उन्हें कई विवादों का भी सामना करना पड़ा है। ग्राहक अक्सर बढ़े हुए किराए और सर्ज प्राइसिंग से परेशान रहते हैं, जबकि ड्राइवर कम कमीशन और अनफेयर ट्रीटमेंट की शिकायतें करते रहे हैं। इसके अलावा, सेवा की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं। सरकारी कैब सेवा के आने से इन कंपनियों को एक बड़ी चुनौती मिल सकती है, क्योंकि यह सेवा सस्ता किराया, अधिक पारदर्शिता और ड्राइवरों के लिए बेहतर आर्थिक अवसर प्रदान कर सकती है।

कैसे होगा संचालन ?

यह नई कैब सेवा कोऑपरेटिव मॉडल के तहत चलाई जाएगी, जिसका मतलब है कि ड्राइवर खुद इसके मालिक होंगे। यह सेवा सरकारी नियंत्रण में होगी और किसी निजी एग्रीगेटर पर निर्भर नहीं रहेगी। सरकार इस योजना को डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से संचालित करने की योजना बना रही है, जिससे उपभोक्ताओं को आसानी से टैक्सी बुक करने की सुविधा मिलेगी। इससे उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा, क्योंकि किराया सस्ता होगा और ट्रांसपेरेंट प्राइसिंग से कोई छिपे हुए चार्ज नहीं होंगे।

ओला और उबर की बढ़ेगी टेंशन

सरकार द्वारा लाई जा रही यह नई टैक्सी सर्विस ओला-उबर जैसी कंपनियों के लिए चुनौती बन सकती है। यह न केवल ड्राइवरों के लिए फायदेमंद होगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी अधिक विश्वसनीय और किफायती सेवा प्रदान करेगी। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह सरकारी कोऑपरेटिव मॉडल भारतीय कैब इंडस्ट्री को किस हद तक बदल पाता है।

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