हिमाचल: पार्वती नदी में दिखी चमकती नीली रौशनी, देखने के लिए उमड़ी भीड़

कुल्लु (सृष्टि शर्मा): कुल्लु की मणिकर्ण घाटी में पार्वती नदी के बीच कोई चमकती हुई चीज दिखाई दी। हालांकि घाटी में लोगों में इस चमकती हुई चीज को देखने के लिए भीड़ जुटी हुई है। पहली बार शुक्रवार रात को पार्वती नदी में ये चमकता हुआ दिखा, जिसे देख लोग हैरान हो गए। हालांकि स्थानीय.

कुल्लु (सृष्टि शर्मा): कुल्लु की मणिकर्ण घाटी में पार्वती नदी के बीच कोई चमकती हुई चीज दिखाई दी। हालांकि घाटी में लोगों में इस चमकती हुई चीज को देखने के लिए भीड़ जुटी हुई है। पहली बार शुक्रवार रात को पार्वती नदी में ये चमकता हुआ दिखा, जिसे देख लोग हैरान हो गए। हालांकि स्थानीय लोगों द्वारा इसके वीडियो बनाये गए और सोशल मीडिया पर ये बेहद वायरल हो रहे है। लोगों का मानना है कि शायद कोई मणि नदी के बीच चमक रही है। हालांकि अभी तक किसी तरह की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। नदी में इस तरह से ये चमक दिखाई देने के पीछे कई सारे वैज्ञानिक कारण भी हो सकते है। जिस तरह से दुनिया के कई समुद्र किनारों और भारत मे कई नदियों में बायोलुमिनसेंस कई वजह से भी इस तरह की नीली रौशनी दिखती है। वैसे ही माना जा रहा है कि मणिकर्ण में पार्वती नदी में दिखी ये नीली रोशनी भी शायद इसी वजह से न हो।

क्या होता है बायोलुमिनसेंस?
बायोलुमिनसेंस में जीवित जीवों द्वारा प्रकाश का उत्पादन होता है। ये कई तरह के कवक में भी पाया जाता है या सुक्षमजीवो में कुछ इस तरह के बायोलुमिनसेंट बैक्टीरिया होते है। जिससे पानी मे इस तरह की रौशनी दिखाई देती है।

मणिकर्ण घाटी का इतिहास
ऐसा माना जाता है कि मणिकर्ण घाटी में शिव और पार्वती का क्रीड़ा स्थल माना जाता है। कहा जाता है एक बार पार्वती के कानों से उनकी एक कीमती मणि गिर गयी थी। जो पाताल लोक जा पहुंची थी। इसी को ढूंढने के लिए कई प्रयत्न किये गए और जब पाताल के राजा नाग ने इस मणि को वापिस करने के लिये कई सारी मणिया ऊपर को फेंकी। जिसके साथ गर्म फुंकार बाहर आई। तभी से माना जाता है कि यह गर्म पानी निकलना शुरू हुआ। साथ ही इस घाटी का नाम पार्वती की मणि के कारण मणिकर्ण पड़ा। माना जाता है कि पार्वती ने सब मणियों में से अपनी मणि ढूंढ कर बाकी सबको पत्थर हो जाने का श्राप दे दिया था।

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