HMPV Virus : ICMR का बड़ा बयान, बताया- ‘Covid-19 से कितना खतरनाक हैं Human Metapneumovirus’
HMPV Virus : ICMR का बड़ा बयान, बताया- ‘Covid-19 से कितना खतरनाक हैं Human Metapneumovirus’
HMPV Virus : वैश्विक स्तर पर ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) (Human Metapneumovirus) को श्वसन संबंधी बीमारी का कारण बनने वाले वायरस के रूप में जाना जाता है। हाल ही में चीन में इस वायरस के प्रकोप की खबर के बाद इसकी तरफ लोगों का ध्यान गया। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा नियमित निगरानी के तहत.
HMPV Virus : वैश्विक स्तर पर ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) (Human Metapneumovirus) को श्वसन संबंधी बीमारी का कारण बनने वाले वायरस के रूप में जाना जाता है। हाल ही में चीन में इस वायरस के प्रकोप की खबर के बाद इसकी तरफ लोगों का ध्यान गया। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा नियमित निगरानी के तहत हाल ही में कर्नाटक में HMPV के दो मामले सामने आए थे।
Human Metapneumovirus क्या है ?
HMPV एक वायरल रोगाणु है जो सभी उम्र के लोगों में श्वसन संक्रमण का कारण बनता है। इसका पता पहली बार 2001 में चला था। यह पैरामाइक्सोविरिडे परिवार से संबंधित है और ‘रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस’ (RSV) से निकटता से संबंधित है। HMPV खांसने या छींकने से निकलने वाली सांस की बूंदों के साथ-साथ दूषित सतहों को छूने या संक्रमित व्यक्तियों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है।
यह वायरस श्वसन संबंधी मामलूी परेशानी से लेकर गंभीर जटिलता से जुड़ी बीमारियों तक का कारण माना जाता है, विशेष रूप से शिशुओं, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में। यह पूरी दुनिया में पाया जाता है और समशीतोष्ण क्षेत्रों में सर्दियों के उत्तरार्ध और वसंत की शुरुआत के दौरान चरम पर होता है, हालांकि कुछ क्षेत्रों में यह साल भर फैलता रहता है।
Human Metapneumovirus के लक्षण
HMPV के लक्षण व्यक्ति की उम्र, सामान्य स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के आधार पर भिन्न होते हैं। हल्के मामलों में आमतौर पर नाक बहना, गले में खराश, खांसी और बुखार का आना शामिल है, जो सामान्य सर्दी जैसा होता है। मध्यम लक्षणों में लगातार खांसी और थकान को शामिल किया जा सकता है। गंभीर मामलों में (विशेष रूप से शिशुओं, बुजुर्गों और पुरानी बीमारियों वाले लोगों में) HMPV ब्रोंकाइटिस, ब्रोंकियोलाइटिस या निमोनिया जैसी जटिलताओं का कारण बन सकता है। गंभीर तीव्र श्वसन संबंधी बीमारी (एसएआरआई) के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ सकती है। ये गंभीर स्थिति विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले समूहों के लिए चिंताजनक हैं।
संचरण और रोकथाम
HMPV अन्य श्वसन वायरस जैसे आरएसवी और इन्फ्लूएंजा के समान ही फैलता है। संचरण मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्तियों की श्वसन बूंदों या दूषित सतहों के संपर्क के माध्यम से होता है। HMPV के प्रसार को रोकने के लिए साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोने सहित अन्य स्वच्छता उपायों को अपनाना आवश्यक है। छींकते या खांसते समय मुंह और नाक को ढंकना और मास्क पहनना भी इसके प्रसार को सीमित कर सकता है। संक्रमित व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क से बचना और बार-बार छुई जाने वाली सतहों को नियमित रूप से कीटाणुरहित करना अतिरिक्त निवारक उपाय हैं।
HMPV संक्रमण से उबरने की अवधि कितनी है?
HMPV संक्रमण के हल्के मामले आमतौर पर कुछ दिनों से लेकर एक सप्ताह तक रहते हैं। गंभीर मामलों में, बेहतर महसूस करने में संभवत? अधिक समय लगेगा। खांसी जैसे लंबे समय तक रहने वाले लक्षणों को दूर होने में अधिक समय लग सकता है।
Human Metapneumovirus का निदान
केवल लक्षणों के आधार पर HMPV का निदान करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यह आरएसवी और इन्फ्लूएंजा जैसे अन्य श्वसन संक्रमणों की नकल लगता है। ‘रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज चेन रिएक्शन’ (आरटी-पीसीआर) HMPV आरएनए का पता लगाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है, जबकि एंटीजन की पहचान करने वाली जांच से त्वरित परिणाम मिलते हैं। भारत में श्वसन संबंधी बीमारियों की निगरानी और नियंत्रण के अपने प्रयासों के तहत, आईसीएमआर और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) जैसे निगरानी कार्यक्रम नियमित रूप से एचएमपीवी सहित श्वसन संबंधी बीमारी देने वाले अन्य वायरस का परीक्षण करते हैं।
Human Metapneumovirus का उपचार
वर्तमान में HMPV के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा या टीका उपलब्ध नहीं है। उपचार सहायक है और संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करता है। हल्के मामलों में आराम, पर्याप्त जलयोजन, बुखार और नाक बंद होने की समस्या के लिए ‘ओवर-द-काउंटर’ दवाएं पर्याप्त हैं। गंभीर मामलों में, विशेष रूप से निमोनिया या ब्रोंकियोलाइटिस से जुड़े मामलों में, ऑक्सीजन थेरेपी और अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता हो सकती है।
वैश्विक और राष्ट्रीय निगरानी
HMPV कोई नया रोगाणु नहीं है, इसके मामले दुनिया भर में सामने आए हैं। भारत में आईसीएमआर और आईडीएसपी जैसी निगरानी प्रणालियां श्वसन संबंधी बीमारी के रुझान पर नजर रखती हैं जिसमें इन्फ्लूएंजा और आरएसवी समेत HMPV रोगाणु शामिल हैं। सरकार ने अपने स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और निगरानी नेटवर्क की मजबूती पर जोर दिया है, जो उभरते खतरों का पता लगाने और प्रतिक्रिया देने के लिए सतर्क रहे।
HMPV और Covid-19 के बीच समानता और अंतर
कोविड-19 (Covid-19) संक्रमण के कारण सार्स-कोव-2 वायरस और HMPV, दोनों श्वसन संबंधी रोग देते हैं लेकिन इनकी वायरोलॉजी, संचरण गतिशीलता और इनसे जन स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव में काफी भिन्नता है। समानता यह है कि दोनों ही वारयस व्यक्ति को मामूली से लेकर गंभीर स्तर की श्वसन संबंधी बीमारी देते हैं। दोनों में से किसी से भी संक्रमित होने पर खांसी, बुखार और सांस फूलने के लक्षण दिखते हैं। अंतर यह है कि कोविड-19 से जुड़े वायरस से होने वाली बीमारी का दायरा विस्तृत है जिसमें स्वाद और गंध लेने में अक्षम होना और खून के थक्के जमना शामिल है। कोविड-19 (Covid-19) से बचाव के लिए जहां वैक्सीन और एंटीवायरल उपचार की सुविधा उपलब्ध है, वहीं HMPV से बचाव के उपाय सीमित हैं और इसके लिए कोई एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है।