Haryana Assembly In Chandigarh : चंडीगढ़ में हरियाणा को अलग विधानसभा के लिए 10 एकड़ जमीन देने के केंद्र के फैसले का पंजाब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कड़ा विरोध किया है। पर्यावरण मंत्रालय ने कल इसकी मंजूरी दे दी और तब से इस फैसले को पंजाब के साथ विश्वासघात करार दिया जा रहा है और आप, कांग्रेस और शिअद इसकी आलोचना कर रहे हैं। अब इस सूची में खुद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल हो गए हैं, जिनका मानना है कि चंडीगढ़ सिर्फ एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं है, बल्कि यह पंजाब के लोगों की भावनाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है।
अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट में सुनील जाखड़ ने अपनी नाराजगी जाहिर की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस फैसले पर पुनर्विचार करने और इसे रद्द करवाने के लिए व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह फैसला पंजाब और केंद्र के बीच मजबूत संबंधों को प्रभावित कर सकता है और पंजाब की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को ठेस पहुंचा सकता है।
ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਵਜੋਂ ਸਿਰਫ ਇਕ ਜਮੀਨੀ ਖਿੱਤਾ ਹੀ ਨਹੀ, ਬਲਕਿ ਇਸ ਨਾਲ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀਆਂ ਡੂੰਘੀਆਂ ਭਾਵਨਾਵਾਂ ਜੁੜੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਹਨ। ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਬੀਤੇ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਲੱਗੇ ਜਖ਼ਮਾਂ ਤੇ ਮੱਲਮ ਲਗਾਉਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ ਤਹਿਤ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਨਰਿੰਦਰ ਮੋਦੀ ਜੀ ਨੇ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਚੜ੍ਹਦੀਕਲਾ ਲਈ ਜਿਹੜੇ ਕਦਮ ਚੱਕੇ… pic.twitter.com/8xvPjnJNl4
— Sunil Jakhar (@sunilkjakhar) November 14, 2024
हरियाणा विधानसभा के लिए जमीन आवंटित करने के फैसले का विरोध करने के अलावा जाखड़ ने इसमें पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की भूमिका पर भी सवाल उठाए। जाखड़ ने आरोप लगाया कि जयपुर में आयोजित उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक के दौरान जब हरियाणा ने चंडीगढ़ में अलग विधानसभा के लिए जमीन की मांग की तो पंजाब के मुख्यमंत्री ने इसका विरोध करने की बजाय पंजाब विधानसभा के लिए भी जमीन की मांग कर दी।
जाखड़ ने इस कदम को देखते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान को अनुभवहीन बताया और कहा कि उनके इस फैसले से चंडीगढ़ पर पंजाब का दावा कमजोर हुआ है और आप के पंजाब विरोधी रुख के कारण राज्य के लोगों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। जाखड़ का कहना है कि यह मुद्दा पंजाब की सभी पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण है और सभी पार्टियां इस पर एकमत हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री के रुख से असहमति जताते हुए इसे पंजाब के हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम बताया। जाखड़ के अनुसार चंडीगढ़ के मामले में लिए गए इस फैसले का पंजाब की सांस्कृतिक और राजनीतिक स्थिति पर दूरगामी असर पड़ सकता है।