इंटरनेशनल डेस्क: इंडोनेशिया के पूर्वी नुसा तेंगारा प्रांत में स्थित माउंट लेवोटोबी में विस्फोट हुआ। इसके बाद ज्वालामुखी विज्ञान और भूगर्भीय आपदा न्यूनीकरण केंद्र ने अलर्ट की स्थिति को उच्चतम स्तर तक बढ़ा दिया। गुरुवार को आधी रात से पहले हुए विस्फोट से 8,000 मीटर तक की ऊंचाई तक राख फैल गई। काले बादल क्रेटर (ज्वालामुखी के शीर्ष पर एक गड्ढा) के दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम में फैल गए।
शुक्रवार की सुबह तक जोरदार विस्फोट जारी रहा और राख का एक स्तंभ 2,500 मीटर तक पहुंच गया। घने काले बादल ज्वालामुखी से पश्चिम की ओर बढ़ गए। गुरुवार से ज्वालामुखी का अलर्ट स्तर उच्चतम स्तर या स्तर चार तक बढ़ा दिया गया। विमानन के लिए ज्वालामुखी वेधशाला नोटिस गुरुवार से लाल स्तर तक बढ़ा दिया गया। इसके तहत ज्वालामुखी के आसपास के क्षेत्र में विमानों को 6,000 मीटर से नीचे उड़ान भरने से रोक दिया गया।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार विमानों को ज्वालामुखी की राख की मौजूदगी के प्रति भी सतर्क रहने को कहा गया, जो उड़ानों को बाधित कर सकती है। केंद्र ने सुरक्षा संबंधी सिफारिशें जारी की। इनमें माउंट लेवोटोबी के आस-पास के लोगों को भारी वर्षा के दौरान पहाड़ की ढलानों से निकलने वाली नदियों में संभावित वर्षा-प्रेरित लावा बाढ़ से सावधान रहने की सलाह दी गई। इसके अलावा ज्वालामुखीय राख से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों को श्वसन संबंधी खतरों से खुद को बचाने के लिए मास्क पहनने की सलाह दी गई
इंडोनेशिया दक्षिण पूर्व एशिया और ओशिनिया में भारतीय और प्रशांत महासागरों के बीच स्थित एक देश है। इसमें 17,000 से ज्यादा द्वीप शामिल हैं। यहां अक्सर भूकंपीय गतिविधियां होती रहती हैं। इसमें 120 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी जो पैसिफिक रिंग ऑफ फायर का हिस्सा हैं। 1,584 मीटर ऊंचा माउंट लेवोटोबी इन्हीं में से एक है।
इंडोनेशिया कई प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटों की सीमा पर स्थित है जैसे की यूरेशियन, ऑस्ट्रेलियाई और प्रशांत प्लेटे। इंडोनेशिया ने दुनिया के कुछ सबसे घातक और सबसे शक्तिशाली विस्फोटों का अनुभव किया है। इनमें 815 में माउंट टैम्बोरा का विस्फोट भी शामिल है। इसे दर्ज मानव इतिहास का सबसे शक्तिशाली ज्वालामुखी विस्फोट माना जाता है