नेशनल डेस्क: संयुक्त कार्य समिति (जेएसी) ने शनिवार को परिसीमन के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया, जिसमें केंद्र सरकार के परिसीमन अभ्यास को लेकर पारदर्शिता की कमी पर चिंता जताई गई। जेएसी ने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से यह मांग की कि परिसीमन के किसी भी अभ्यास को पारदर्शी तरीके से किया जाए, ताकि सभी राज्य सरकारों और राजनीतिक दलों को इस पर विचार-विमर्श और योगदान करने का अवसर मिले।
रोक को अगले 25 वर्षों तक बढ़ाया जाए: जेएसी
जेएसी ने प्रस्ताव में कहा कि 1971 की जनगणना के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों पर लगी रोक को अगले 25 वर्षों तक बढ़ाया जाए। समिति का यह भी मानना है कि यह कदम उन राज्यों को सुरक्षा देने के लिए जरूरी है जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण उपायों को प्रभावी रूप से लागू किया है। जेएसी ने कहा कि केंद्र सरकार को उन राज्यों को दंडित नहीं करना चाहिए जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को सही तरीके से लागू किया है और जिनकी जनसंख्या में कमी आई है।
जेएसी का संकल्प
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अध्यक्षता में आयोजित जेएसी की बैठक में यह निर्णय लिया गया। जेएसी ने यह भी संकल्प लिया कि विभिन्न राज्यों के राजनीतिक दल परिसीमन पर अपने-अपने राज्य विधानसभाओं में प्रस्ताव लाएंगे और केंद्र सरकार को इसकी जानकारी देंगे। साथ ही, जेएसी समन्वित जनमत जुटाने की रणनीति अपनाएगी ताकि नागरिकों को परिसीमन के इतिहास और उसके प्रभावों के बारे में जानकारी दी जा सके।
इसके अलावा, जेएसी ने यह तय किया कि यदि केंद्र सरकार किसी भी तरह के परिसीमन अभ्यास को लागू करने का प्रयास करती है जो इन सिद्धांतों के विपरीत हो, तो राज्य के सांसद इसका विरोध करेंगे। सांसदों की एक कोर कमेटी इस मुद्दे पर संसदीय रणनीतियों का समन्वय करेगी और प्रधानमंत्री को एक संयुक्त प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करेगी।
बैठक में कौन-कौन नेता हुए शामिल
यह बैठक चेन्नई में हुई, जिसमें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, ओडिशा कांग्रेस अध्यक्ष भक्त चरण दास, और बीजू जनता दल के नेता संजय कुमार दास बर्मा सहित कई प्रमुख नेता मौजूद थे। स्टालिन ने यह भी बताया कि परिसीमन पर अगली बैठक तेलंगाना के हैदराबाद में आयोजित की जाएगी।