जयराम रमेश ने सीईसी को फिर लिखा पत्र, विपक्ष के प्रश्नों का ठोस जवाब नहीं देने का आरोप लगाया

रमेश ने पिछले साल 30 दिसंबर को निर्वाचन आयोग को भी पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि इंडिया के एक प्रतिनिधिमंडल को वीवीपैट पर्चियों पर अपने विचार रखने के लिए समय दिया जाए।

नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने निर्वाचन आयोग द्वारा वीवीपैट संबंधी चिंताओं को खारिज किए जाने के बाद सोमवार को एक बार फिर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को पत्र लिखकर आरोप भी लगाया कि निर्वाचन आयोग विपक्षी दलों के प्रश्नों और ईवीएम से संबंधित ‘वास्तविक चिंताओं’ का ठोस जवाब देने में विफल रहा है। उन्होंने यह आग्रह भी किया कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के एक प्रतिनिधिमंडल को मिलने का समय दिया जाए ताकि विपक्षी दल कम से कम वीवीपैट के विषय में आयोग के समक्ष अपनी बात रख सकें। रमेश ने पिछले साल 30 दिसंबर को निर्वाचन आयोग को भी पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि इंडिया के एक प्रतिनिधिमंडल को वीवीपैट पर्चियों पर अपने विचार रखने के लिए समय दिया जाए।

निर्वाचन आयोग ने वीवीपैट पर रमेश की चिंताओं को खारिज करते हुए गत शुक्रवार को कहा था कि इसके माध्यम से ‘‘ऐसा कोई नया दावा या उचित एवं वैध संदेह नहीं उठाया है जिसके लिए और स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।’’ आयोग ने जवाबी पत्र में यह भी कहा था कि पेपर पर्चियों संबंधी नियम कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा 2013 में पेश किए गए थे। रमेश ने सोमवार को राजीव कुमार को लिखे पत्र में कहा, ‘‘मैंने आयोग के साथ ‘इंडिया’ के घटक दलों के नेताओं की मुलाकात के लिए समय देने का स्पष्ट अनुरोध किया था। मुलाकात के एजेंडे में वीवीपीएटी के उपयोग पर चर्चा करना और सुझाव देना शामिल थे। ’’

उन्होंने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग विपक्षी दलों के मिलने के आग्रह को खारिज करने के साथ ही उनके प्रश्नों और ईवीएम पर वास्तविक चिंताओं का ठोस जवाब देने में फिर विफल रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ईवीएम या वीवीपैट पर राजनीतिक प्रतिभागियों के साथ बातचीत करने से आपका साफ इनकार सिर्फ ‘इंडिया’ से संबंधित पार्टियों के लिए नहीं, बल्कि सभी राजनीतिक दलों के लिए गंभीर चिंता का विषय है।’’

उनका कहना था, ‘‘यह जानकर भी आश्चर्य होता है कि आयोग न्यायिक आदेशों की आड़ ले रहा है, हमें यह भी याद दिला रहा है कि ईवीएम और वीवीपीएटी के मुद्दे पर दायर जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है।’’ रमेश ने कहा कि आयोग अच्छी तरह से जानता है कि वीवीपैट से संबंधित किसी भी न्यायिक प्रक्रिया के लंबित रहने की वजह से आयोग को ‘इंडिया’ के घटक दलों के सुझावों पर चर्चा करने या सुनने से नहीं रोका जा सकता।

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘वास्तव में, ऐसा कोई न्यायिक आदेश नहीं है जो आयोग को ईवीएम या वीवीपैट के मुद्दे पर ‘इंडिया’ के घटक दलों के नेताओं से मिलने से रोकता हो।’’ कांग्रेस महासचिव के अनुसार, यह अनुरोध भारतीय पार्टियों की ओर से किया जा रहा है, जिन्होंने देश को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और बहुत बड़ी संख्या में प्रतिष्ठित राजनेता दिए हैं।

रमेश का कहना था, ‘‘2019 के लोकसभा चुनाव में ‘इंडिया’ के घटक दलों को 60 प्रतिशत से अधिक वोट मिले। फिर भी आयोग इन दलों को अपने साथ मुलाकात का अवसर देने से इनकार करता रहा है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है और अप्रत्याशित है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आगामी आम चुनाव जल्द ही होने वाले हैं, मैं एक बार फिर आयोग से सम्मानपूर्वक अनुरोध करता हूं कि वह ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों के के एक छोटे प्रतिनिधिमंडल से मिलें और कम से कम यह सुनें कि वीवीपैट के मुद्दे पर उन्हें क्या कहना है।’’

विपक्षी गठबंधन ने 19 दिसंबर को एक बैठक में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की कार्यप्रणाली की शुचिता के बारे में संदेह व्यक्त किया था और मांग की थी कि वीवीपैट पर्चियां मतदाताओं को सौंपी जाएं, जो इसे एक अलग बॉक्स में डाल सकें। विपक्षी गठबंधन ने पर्चियों और ईवीएम के 100 फीसदी मिलान की भी मांग की थी।

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