नई दिल्ली/शिमला। भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद कंगना रनौत बुधवार को अपनी उस टिप्पणी से पीछे हट गईं, जिसमें उन्होंने 2021 में निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लाने की मांग की थी। इस टिप्पणी से जहां रनौत एक बार फिर राजनीतिक विवाद में घिर गईं तो वहीं भाजपा ने उनके इस बयान से किनारा कर लिया है, जबकि कांग्रेस ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। रनौत ने कहा कि ये उनके ‘निजी’ विचार हैं और पार्टी के रूख को प्रदर्शित नहीं करते हैं। कांग्रेस ने भाजपा से उनके निष्कासन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण की मांग की।
रनौत की टिप्पणी ने सत्तारूढ़ भाजपा को एक बार फिर मुश्किल में डाल दिया है, खासकर इसलिए क्योंकि वह हरियाणा में सत्ता बरकरार रखने के लिए व्यापक प्रचार अभियान में जुटी हुई है। हरियाणा में तीन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे और बाद में केंद्र ने इन कानूनों को वापस ले लिया था। हरियाणा में पांच अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा। भाजपा ने रनौत की टिप्पणियों से किनारा कर लिया और साथ ही कानूनों के प्रति उनके समर्थन को खारिज कर दिया।
पार्टी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि भाजपा ने रनौत को ऐसा कोई बयान देने के लिए अधिकृत नहीं किया है और न ही उनका रुख पार्टी के विचारों को प्रतिबिंबित करता है। भाजपा की हिमाचल प्रदेश इकाई ने भी रनौत के बयान से दूरी बना ली है।हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में मंगलवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रनौत ने कहा था कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों का विरोध केवल कुछ राज्यों में ही हुआ था।
उन्होंने कहा था, ‘‘किसान भारत की प्रगति के शक्तिस्तंभ हैं। केवल कुछ राज्यों में ही उन्होंने कृषि कानूनों पर आपत्ति जताई थी। मैं हाथ जोड़कर अपील करती हूं कि किसानों के हित में कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए।’’ रनौत लोकसभा में मंडी सीट का प्रतिनिधित्व करती हैं। रनौत ने बुधवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘ किसान कानूनों पर मेरे विचार निजी हैं और इन विधेयकों पर पार्टी के रूख को नहीं प्रदर्शित करते हैं।’’ उन्होंने ‘एक्स’ पर अपना एक वीडियो बयान भी जारी किया जिसमें उन्होंने कहा,‘‘ जब किसानों के कानूनों का प्रस्ताव आया, तब हममें से कई ने उनका समर्थन किया। लेकिन बहुत ही संवेदनशीलता एवं सहानुभूति से हमारे सम्मानीय प्रधानमंत्री ने उन कानूनों को वापस ले लिया।’’ रनौत ने 68 सेकंड के इस वीडियो में कहा, ‘‘ यदि मैंने अपने शब्दों एवं विचारों से किसी को निराश किया है तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं।’’
रनौत पहले भी कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को लेकर अपनी टिप्पणियों से विवादों में घिर चुकी हैं। जून में, संसद के लिए चुने जाने के कुछ ही दिन बाद रनौत को चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की एक महिला कांस्टेबल ने थप्पड़ मारा था।
महिला कांस्टेबल ने कहा था कि वह किसानों के आंदोलन को लेकर भाजपा नेता के बयानों से खफा थीं।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने रनौत की इस टिप्पणी को लेकर बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह निरस्त किये जा चुके तीनों ‘काले’ कृषि कानूनों को फिर से लाना चाहते हैं या नहीं। गांधी ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री ने उन कानूनों को फिर से लाने जैसा कोई कदम उठाया तो ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) उसका पुरजोर विरोध करेगा और उन्हें एक बार फिर माफी मांगनी पड़ेगी। विपक्षी पार्टी ने कहा कि अगर भाजपा रनौत के बयानों से सहमत नहीं है तो उसे उन्हें निष्कासित कर देना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हरियाणा समेत चुनावी राज्य भाजपा को करारा जवाब देंगे। राहुल गांधी ने एक वीडियो में कहा, ‘‘भाजपा के लोग विचारों को लेकर जांच-परख करते रहते हैं। वे किसी से कहते हैं कि सार्वजनिक रूप से विचार रखिए और फिर देखते हैं कि प्रतिक्रिया क्या होती है। यही हुआ है। इनके एक सांसद ने काले कृषि कानूनों को फिर से लाने की बात की है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी स्पष्ट कीजिए कि क्या आप उन कानूनों को फिर से लाना चाहते हैं। आप फिर से ‘बदमाशी’ तो नहीं करेंगे?’’ उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने शहीद किसानों के लिए संसद में दो मिनट का मौन भी नहीं रखने दिया था।
गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘सरकार की नीति कौन तय कर रहा है? एक भाजपा सांसद या प्रधानमंत्री मोदी? सात सौ से ज्यादा किसानों, खासकर हरियाणा और पंजाब के किसानों की शहादत लेकर भी भाजपा वालों का मन नहीं भरा।’’ खरगे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘सात सौ पचास किसानों की शहादत के बाद भी, किसान विरोधी भाजपा और मोदी सरकार को अपने गंभीर अपराध का एहसास नहीं हुआ! तीन काले किसान विरोधी कानूनों को फिर से लागू करने की बात हो रही है। कांग्रेस पार्टी इसका कड़ा विरोध करती है।’’ उन्होंने कहा कि किसानों को गाड़ी के नीचे कुचलवाने वाली मोदी सरकार ने हमारे अन्नदाता के लिए कंटीले तार, ड्रोन से आंसू गैस, कीलें और बंदूक़ें.. सबका इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि ये सब कुछ भारत के किसान कभी भूल नहीं पाएंगे।
बता दें कि, किसानों का विरोध नवंबर 2020 के अंत में शुरू हुआ था और संसद द्वारा तीनों कानूनों को निरस्त करने के बाद समाप्त हुआ। ये कानून जून 2020 में लागू हुए थे और नवंबर 2021 में निरस्त कर दिए गए।