Jairam Ramesh : कांग्रेस ने मोदी सरकार पर मनरेगा मजदूरों की दुर्दशा के प्रति उदासीनता दिखाने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय बजट में मनरेगा मजदूरी बढ़ाने और आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) को अनिवार्य नहीं बनाने की सोमवार को मांग की हैं। कांग्रेस ने कहा कि मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के तहत दी जाने वाली मजदूरी को बढ़ाकर राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी 400 रुपये प्रतिदिन तक करने का लक्ष्य रखा जाए।
एक बयान में कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा कि मनरेगा मजदूरी सरकार की मनमानी से तय नहीं की जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि मजदूरी दर में बदलाव की आवश्यकता का मूल्यांकन करने के लिए एक स्थायी समिति का गठन किया जाना चाहिए। जयराम रमेश ने कहा कि एबीपीएस को अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत कार्यदिवसों की संख्या 100 से बढ़ाकर 150 दिन की जानी चाहिए।
जयराम रमेश ने कहा, कि प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी के उदासीन रवैये और अदूरर्दिशता का सबसे पहला संकेत 2015 में संसद के पटल पर मनरेगा का मजाक उड़ाना था। उन्होंने कहा कि इसके बाद के वर्षों में विशेषकर कोविड-19 महामारी के दौरान, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना ने अपनी उपयोगिता को निर्णायक रूप से प्रर्दिशत किया।
उन्होंने कहा कि महामारी से पहले 2019-20 में इस योजना के तहत काम मांगने वाले कुल 6.16 करोड़ परिवारों की तुलना में 2020-21 में यह संख्या 33 प्रतिशत बढ़कर 8.55 करोड़ हो गई। जयराम रमेश ने कहा कि इन करोड़ों परिवारों के लिए सरकार के अनियोजित लॉकडाउन की अराजकता के बीच मनरेगा ही एकमात्र जीवन रेखा थी। उन्होंने आरोप लगाया, जारी आर्थिक मंदी के बीच, जनवरी 2025 तक इस कार्यक्रम के तहत 9.31 करोड़ सक्रिय श्रमिक कार्यरत हैं। इनमें से करीब 75 प्रतिशत श्रमिक महिलाएं हैं। इस वास्तविकता के बावजूद, सरकार उनकी दुर्दशा के प्रति उदासीनता की नीति अपना रही है।