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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114Rahul Gandhi : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लगता है कि संविधान की ‘लाल किताब’ जो वह अपने पास रखते हैं, वह कोरी है क्योंकि उन्होंने (मोदी ने) इसे कभी पढ़ा ही नहीं है। गांधी ने महाराष्ट्र के नंदूरबार में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान में भारत की आत्मा और बिरसा मुंडा, डॉ. बी. आर. आंबेडकर और महात्मा गांधी जैसे राष्ट्र नायकों द्वारा परिकल्पित सिद्धांत शामिल हैं। उन्होंने कहा, कि ‘भाजपा को किताब के लाल रंग पर आपत्ति है (जिसे गांधी रैलियों में दिखाते रहे हैं)। लेकिन हमारे लिए, रंग चाहे जो भी हो, हम इसे (संविधान को) बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और अपनी जान देने के लिए भी तैयार हैं। मोदी जी को लगता है कि संविधान पुस्तिका कोरी है क्योंकि उन्होंने इसे कभी पढ़ा ही नहीं है।’’
लोकसभा में विपक्ष के नेता गांधी ने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि आदिवासियों, दलितों और पिछड़े वर्गों को निर्णय लेने में प्रतिनिधित्व मिले। भाजपा नेताओं ने बीस नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए अपने अभियान में गांधी द्वारा प्रर्दिशत ‘‘लाल किताब’’ को ‘‘शहरी नक्सलवाद’’ से जोड़ने का प्रयास किया है। गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ऐसी टिप्पणियां करके राष्ट्र नायकों का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) आदिवासियों को आदिवासी के बजाय ‘‘वनवासी’’ कहकर उनका अपमान करते हैं।
राहुल गांधी ने कहा, कि ‘आदिवासी देश के पहले मालिक हैं और जल, जंगल और जमीन पर पहला अधिकार उनका है। लेकिन भाजपा चाहती है कि आदिवासी जंगल में ही रहें, उनके पास कोई अधिकार नहीं है। बिरसा मुंडा ने इसके लिए लड़ाई लड़ी थी और अपने प्राणों का बलिदान दिया था।’’ विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) के घोषणापत्र का हवाला देते हुए गांधी ने कहा कि महिलाओं, किसानों और युवाओं को 3,000 रुपए मासिक सहायता और निशुल्क बस यात्रा, तीन लाख रुपये तक के कृषि ऋण माफी और बेरोजगार युवाओं को 4,000 रुपए प्रति माह सहायता जैसे प्रावधानों के साथ संरक्षित किया जाएगा।
उन्होंने जाति आधारित गणना की मांग दोहराते हुए कहा कि इससे महाराष्ट्र में आदिवासियों, दलितों और पिछड़े वर्गों की संख्या और संसाधनों में उनकी हिस्सेदारी का पता लगाने में मदद मिलेगी। गांधी ने दावा किया कि वर्तमान में आठ प्रतिशत आदिवासी आबादी में से निर्णय लेने में उनकी हिस्सेदारी केवल एक प्रतिशत है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि महाराष्ट्र से पांच लाख नौकरियां छीन ली गई हैं क्योंकि विभिन्न बड़ी परियोजनाएं अन्य राज्यों में स्थानांतरित कर दी गई हैं। उन्होंने कहा, कि ‘हमारी सरकार इसकी अनुमति नहीं देगी। महाराष्ट्र के लिए बनी परियोजनाएं यहीं रहेंगी जबकि गुजरात के लिए बनी परियोजनाएं वहां रहेंगी।’’