नेशनल डेस्क: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को एक बार फिर आरोप लगाया कि उन्हें संसद में बोलने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “मुझे नहीं पता कि वे किस बात से डरते हैं।”
हर बार रोका जाता है: राहुल गांधी
राहुल गांधी संसद में प्रवेश करते समय पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा, “मुझे संसद में कभी बोलने नहीं दिया जाता। जब भी मैं खड़ा होता हूँ, मुझे रोक दिया जाता है। मुझे नहीं पता कि वे किससे डरते हैं।” इससे एक दिन पहले, बुधवार को भी राहुल गांधी ने इसी तरह का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि स्पीकर ने उनके बारे में कुछ निराधार बातें कहीं और उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया।
#WATCH | Delhi | On being asked if he will speak in Parliament today, Congress MP Rahul Gandhi says, “Won’t be allowed to speak…I don’t know what they are scared of.” pic.twitter.com/qlnVH1N8RE
— ANI (@ANI) March 27, 2025
राहुल गांधी ने कहा, “मैंने स्पीकर से निवेदन किया कि मुझे बोलने दें, लेकिन उन्होंने मुझे अनुमति नहीं दी। इसके बजाय, उन्होंने सदन स्थगित कर दिया, जिसकी कोई जरूरत नहीं थी। यह परंपरा रही है कि विपक्ष के नेता को बोलने का समय दिया जाता है, लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं हो रहा है।”
महाकुंभ और बेरोजगारी पर बोलना चाहते थे राहुल
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि वे महाकुंभ मेले और बेरोजगारी जैसे अहम मुद्दों पर बोलना चाहते थे, लेकिन उन्हें स्पीकर ने रोक दिया। प्रधानमंत्री जी ने महाकुंभ पर बात की, और मैं भी इस विषय पर बोलना चाहता था। मैं यह कहना चाहता था कि कुंभ मेला बहुत अच्छा था। साथ ही, मैं बेरोजगारी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी चर्चा करना चाहता था, लेकिन मुझे अनुमति नहीं दी गई।” उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष दोनों की भूमिका होती है, लेकिन वर्तमान समय में विपक्ष को बोलने का अवसर ही नहीं दिया जा रहा है।
विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी के इस आरोप के बाद विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई। शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा जब भी सदन नहीं चलाना चाहती, तो अजीबोगरीब आरोप लगाकर संसद को बाधित कर देती है। विपक्ष के नेता को संसद में बोलने का अधिकार है, लेकिन उन्हें दबाने की कोशिश की जा रही है।”