पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री Parkash Singh Badal का राजनीतिक सफ़र

राजनीति के इतिहास में जब भी पंजाब की सियासत की बात होगी तो ये बात शिरोमणि अकाली दल के बिना शुरू नहीं होगी और इसके संरक्षक प्रकाश सिंह बादल का नाम लिए बगैर खत्म भी नहीं होगी. शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक और पंजाब के पांच बार सीएम रहे प्रकाश सिंह बादल का निधन हो.

राजनीति के इतिहास में जब भी पंजाब की सियासत की बात होगी तो ये बात शिरोमणि अकाली दल के बिना शुरू नहीं होगी और इसके संरक्षक प्रकाश सिंह बादल का नाम लिए बगैर खत्म भी नहीं होगी. शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक और पंजाब के पांच बार सीएम रहे प्रकाश सिंह बादल का निधन हो गया. उन्होंने मंगलवार को शाम करीब साढ़े आठ बजे आखिरी सांस ली. बादल 95 वर्ष के थे. पिछले हफ्ते ही स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्हें मोहाली फोर्टिस अस्पताल में दाख़िल किया गया था. प्रकाश सिंह बादल 94 साल की उम्र तक राजनीति में सक्रिय रहे थे। प्रकाश सिंह बादल पंजाब की सियासत के बेताज बादशाह रहे है।

प्रकाश सिंह बादल का जन्‍म 8 दिसम्‍बर 1927 को पंजाब में मालवा के पास स्थित गांव अबुल खुराना में हुआ था। उनके पिता रघुराज सिंह और मां सुंदरी कौर थीं। 1959 में उन्होंने सुरिंदर कौर से शादी की और बादल दंपति के दो बच्चे सुखबीर सिंह बादल और परनीत कौर जीवन में आए। बादल की पत्नी सुरिंदर कौर का 2011 में लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया था। बादल 1947 में सरपंच का चुनाव जीतकर राजनीति में आए थे. एक बार उन्होंने इस क्षेत्र में कदम बढ़ा लिए तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1957 में पहली बार पंजाब विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए और इसके बाद 1969 में प्रकाश सिंह बादल को एक बार फिर विधानसभा के लिए चुना गया। उन्होंने पंजाब से ही राजनीति की, लेकिन साल 1977 में केंद्र की मोरारजी देसाई की सरकार में वह करीब ढाई महीने तक कृषि और किसान कल्याण मंत्री भी रहे थे।

प्रकाश सिंह बादल 5 बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे और 10 बार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर चुके थे। बादल ने पहली बार 1970 में राज्‍य के 15वें मुख्‍यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। इसके बाद 1977 में वे राज्‍य के 19वें मुख्‍यमंत्री चुने गए। बीस साल के बाद फिर उन्हें सत्ता की कमान संभाली, लेकिन इस बार उन्हें बीजेपी के साथ गठबंधन करने का सियासी फल मिला था।

साल 1957 के अलावा 1969 से वह लगातार राज्य विधानसभा के चुनाव जीतते आ रहे थे, हालांकि, सिर्फ एक बार 1992 में वह विधायक नहीं बने, क्योंकि उस साल अकाली दल ने चुनावों का बहिष्कार किया था. हालांकि बीते साल बादल जब लांबी विधानसभा सीट से खड़े हुए थे तो उन्हें यहां आप प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा था। बता दें कि सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद उन्हें एक हफ्ते पहले ही मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन आज मंगलवार शाम 8 बजकर 28 मिनट पर उन्होंने इस संसार को अलविदा कह दिया।

 

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