मुंबई : रतन टाटा बहुत ही सुलझे हुए, दानी और जानवरों के प्रति प्रेम और दया भाव रखने वाली सख्शियत थे। इस बात का सबूत एक बार फिर लोगों को मिला, जब रतन टाटा की वसीयत सामने आई। बता दें की इसी महीने टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहते रतन टाटा का देहांत हो गया। अपनी मृत्यु से पहले उन्होंने अपने पालतू कुत्ते टीटो की सुरक्षा सुनिश्चित की। इसके लिए उन्होंने अंग्रेजी में “अनलिमिटेड केयर” शब्द का इस्तेमाल किया।
किसके साथ रहेगा टीटो-
लम्बे समय से रतन टाटा के कुक रहे राजन शॉ को टीटो की जिम्मेदारी मिली है। वह अब राजन के साथ ही रहेगा। रतन टाटा छह साल पहले अपने पुराने कुत्ते की मृत्यु के बाद टीटो को घर लेकर आए थे। सर टाटा सोशल मीडिया के माध्यम से हमेशा आवारा कुत्तों के साथ लोगों से सहानुभुति दिखाने की अपील करते थे।
कहाँ कितनी संम्पति –
मीडिया रिपोर्टो के अनुसार रतन टाटा ने के पास 10,000 करोड़ की जायदाद थी। इसमें टाटा सन्स का 0.83% स्टेक और टाटा ग्रुप में 165 बिलियन डॉलर की हिस्सेदारी, 350 करोड़ का फिक्स्ड डिपॉजिट, जुहू में 2 मंजिला मकान, समंदर के किनारे मौजूद 2,000 स्क्वायर फुट का बंगला शामिल है।
किसको क्या मिला-
सर टाटा ने अपनी वसीयत में सभी को कुछ न कुछ दिया है जिसमें उनके फाउंडेशन, भाई जिम्मी टाटा, सौतेली बहनें शिरीन और डीना जेजीभॉय और घरेलू स्टॉफ मेंबर्स शामिल हैं। पिछले तीन दशकों से साथ रहने वाले बटलर सुब्बैया को भी उन्होंने अपनी वसीयत में जगह दी है। रतन टाटा के वसीहत में शांतनु नायडु का भी नाम है जो उनके एग्जीक्यूटिव एसिसटेंट रहे हैं। उन्होंने नायडू के वेंचर गुडफेलोज में अपनी हिस्सेदारी छोड़ दी है, साथ ही विदेश में शांतनु नायडू के शैक्षिक खर्चों को भी भरा है।
टाटा संस में शेयरों के अलावा, टाटा मोटर्स और दूसरे टाटा समूह की कंपनियों में मौजूद उनकी हिस्सेदारी को रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन में डाल दिया जाएगा। टाटा संस में रतन टाटा की जो हिस्सेदारी है उसे भी रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। जुहू में समुद्र किनारे एक चौथाई एकड़ जमीन रतन टाटा और उनके परिवार को उनके पिता नवल टाटा की मृत्यु के बाद विरासत में मिली थी। ये दो दशकों से अधिक समय से बंद है और इसे बेचने पर विचार किया जा रहा है।