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मजदूरी की मांग पर मिली धमकी, 4 दिन से भूखे प्यासे… अधिकारियों ने नहीं दी मजदूरी

Received threat on demand of wages ; नेशनल डेस्क : मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के वन विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। मजदूरों का कहना है कि उन्हें पिछले 5 दिनों से उनकी मेहनत की मजदूरी नहीं दी गई, जिससे वे काफी परेशान हैं। ये मजदूर कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर भूखे-प्यासे.

Received threat on demand of wages ; नेशनल डेस्क : मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के वन विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। मजदूरों का कहना है कि उन्हें पिछले 5 दिनों से उनकी मेहनत की मजदूरी नहीं दी गई, जिससे वे काफी परेशान हैं। ये मजदूर कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर भूखे-प्यासे बैठकर अपनी शिकायत अधिकारियों से कर रहे हैं। बता दें कि यह मामला चंदिया रेंज के घोघरी गांव का है, जहां कुछ मजदूरों को पौधे लगाने के लिए गड्ढे करने और लेंटाना की कटाई का काम सौंपा गया था। मजदूरों ने काम तो किया, लेकिन जब मजदूरी का समय आया, तो वन विभाग के अधिकारियों ने उनका भुगतान करने से मना कर दिया।

शराब के नशे में गाली-गलौज

मजदूरों का आरोप है कि काम के दौरान बीट गार्ड रमेश और डिप्टी रेंजर ने उन्हें न केवल गाली-गलौज किया, बल्कि उन्हें धमकाया भी। मजदूरों का कहना है कि बीट गार्ड ने शराब के नशे में उनकी अपमान किया और उनका मेहनताना देने से इनकार कर दिया।

मजदूरों की नाराजगी और उनकी स्थिती

वहीं एक एक मजदूर ने बताया कि, “हमें काम करने के लिए बुलाया गया था, लेकिन अब मजदूरी मांगने पर गालियां दी जाती हैं। वे हमें धमकाते हैं कि हम रातों-रात गायब हो जाएंगे। हमारे साथ हमारे बच्चे भी भूखे हैं।” महिला मजदूर नीशू ने कहा, “हम कलेक्टर कार्यालय में बैठे हैं, हमारे बच्चे भूखे हैं। हमें गालियां दी जाती हैं और हमें भगा दिया जाता है, अब हम कहां जाएं?” अन्य मजदूरों ने भी अपने साथ हुई बदसलूकी का जिक्र किया और बताया कि वे पिछले 4 दिनों से भूखे हैं और अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई मदद नहीं मिल रही है।

वन विभाग ने दी सफाई 

वन विभाग के एसडीओ कुलदीप त्रिपाठी ने मजदूरों की शिकायतों पर सफाई दी और बताया कि मजदूरों को नगद भुगतान का कोई प्रावधान नहीं था, और इस कारण उन्हें परेशानी हो रही है। उनका कहना था कि मजदूर अपना खाता नंबर नहीं दे पा रहे हैं, जिससे भुगतान में समस्या आ रही है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर मजदूर खाता नंबर प्रदान करेंगे, तो 1-2 दिन के भीतर उनका भुगतान कर दिया जाएगा।

मजदूरों की ओर से तानाशाही का आरोप

कलेक्टर कार्यालय ने मजदूरों को रैन बसेरा में रात बिताने की व्यवस्था तो कर दी, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों का तानाशाही रवैया और मजदूरी न मिलने की समस्या अभी भी बनी हुई है। मजदूरों का कहना है कि उनके द्वारा की गई मेहनत का उचित भुगतान न मिलने पर उन्हें चैन से जीने का अधिकार नहीं मिल रहा है। वन विभाग के एसडीओ ने कहा कि यह मजदूर हर साल इस तरह की शिकायतें करते रहते हैं और उनका व्यवहार हमेशा ऐसा ही रहता है। हालांकि, इस स्थिति में मजदूरों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है, क्योंकि उन्हें अपना मेहनताना सही समय पर नहीं मिल रहा है, और उनके परिवार भी भूखे हैं।

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