Subhash Chandra Bose Jayanti ; नेशनल डेस्क : नेता जी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का 128वीं जयंती है। इस अवसर पर PM मोदी समेत देश के तमाम नेताओं ने उनकों श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने कहा ,”नेताजी ने देश की आज़ादी के लिए आज़ाद हिंद फौज का गठन किया था। इसमें भारत के विभिन्न हिस्सों और वर्गों के नायक-नायिकाएं शामिल थे। उनके बीच भाषाएं अलग-अलग थीं, लेकिन एक बात थी जो उन्हें एकजुट करती थी – वह थी देश की आज़ादी।”
#WATCH | On Netaji Subhas Chandra Bose Jayanti, PM Modi says, ” Netaji formed the Azad Hind Fauj for the independence of the country. It included heroes and heroines from every region and every section of the country. Everyone’s languages were different, but the sentiment was… pic.twitter.com/CLLCZd1bp2
— ANI (@ANI) January 23, 2025
बता दें कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस था, जो एक समृद्ध वकील थे। सुभाष चंद्र बोस ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कटक में ही ली और बाद में इंग्लैंड में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की डिग्री प्राप्त की। आइए जानते हैं आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन के बारे में विस्तार से…
स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी
आपको बता दें कि नेताजी बचपन से ही स्वतंत्रता संग्राम से प्रभावित थे और भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्र करने की इच्छा रखते थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) से जुड़कर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। पहले तो वह महात्मा गांधी के नेतृत्व में काम करते थे, लेकिन बाद में उनका मत गांधीजी से अलग हो गया।
आजाद हिंद फौज का गठन
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का सबसे बड़ा योगदान आजाद हिंद फौज (Indian National Army, INA) का गठन था। यह सेना जापान और जर्मनी के समर्थन से बनाई गई थी ताकि ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक सशस्त्र संघर्ष किया जा सके। नेताजी ने अपनी सेना के साथ भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और भारतीय सैनिकों को ब्रिटिश साम्राज्य से लड़ने के लिए प्रेरित किया। उनका प्रसिद्ध नारा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा” आज भी लोगों के दिलों में गूंजता है।
जापान में निर्वासन और आज़ाद हिंद सरकार
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नेताजी ने जापान का रुख किया और वहां आज़ाद हिंद सरकार की स्थापना की। उन्होंने जापानी सैनिकों की मदद से भारतीय स्वतंत्रता के लिए युद्ध लड़ा। उनका उद्देश्य भारतीय सशस्त्र संघर्ष के जरिए ब्रिटिश साम्राज्य को भारत से बाहर करना था। हालांकि, युद्ध के बाद उनकी योजनाएँ सफल नहीं हो सकीं, लेकिन उन्होंने भारतीयों को राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया।
संपूर्ण जीवन और विचार
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन संघर्ष और साहस का प्रतीक था। वे न केवल एक महान नेता थे, बल्कि एक दूरदृष्टा और प्रेरणादायक व्यक्तित्व भी थे। उनके विचार और दृष्टिकोण हमेशा देश की आज़ादी के लिए समर्पित रहे। उनकी कड़ी मेहनत, देशभक्ति और संघर्ष आज भी भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
मृत्यु के बारे में रहस्य
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु के बारे में अब भी कई सवाल हैं। 18 अगस्त 1945 को ताइपे, ताइवान में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु की खबर आई, लेकिन उनके मृत्यु के कारण पर अभी भी संदेह बना हुआ है। कुछ लोगों का मानना है कि उनकी मौत एक साजिश थी, जबकि अन्य का कहना है कि वह एक गुमनाम जीवन जीने के लिए अपनी पहचान बदलकर किसी अन्य स्थान पर चले गए थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और महानायक थे। उनकी देशभक्ति, संघर्ष और नेतृत्व ने भारतीयों को ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया। उनका जीवन हमेशा देश के लिए बलिदान और संघर्ष की मिसाल रहेगा।