Uttarakhand first state implement UCC; नेशनल डेस्क : उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया गया है। आज यानी सोमवारो को राज्य की कैबिनेट ने इस कानून की नियमावली को मंजूरी दे दी है। इसके बाद, 26 जनवरी 2025 को इस कानून को राज्य में लागू कर दिया जाएगा। यह घोषणा राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की थी, जो इस कानून को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…
यूनिफॉर्म सिविल कोड की मंजूरी
आपको बता दें कि उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के लिए कैबिनेट की बैठक में नियमावली को सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई है। यह कानून पिछले कुछ समय से राज्य में चर्चा का विषय बना हुआ था। मुख्यमंत्री ने 2022 के विधानसभा चुनाव में यह वादा किया था कि सरकार बनने के बाद सबसे पहले इस कानून को लागू किया जाएगा। वहीं इस कानून को लागू करने से पहले एक हाई पावर कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने राज्य के ढाई लाख से अधिक लोगों से सुझाव लिए और उनके आधार पर यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार किया। इसके बाद इसे विधानसभा में मंजूरी दी गई, और फिर गवर्नर और राष्ट्रपति से भी अनुमोदन प्राप्त हुआ।
यूनिफॉर्म सिविल कोड की नियमावली की मंजूरी
हालांकि कानून का ड्राफ्ट तैयार था, लेकिन इसे लागू करने के लिए नियम और रेगुलेशन तैयार नहीं किए गए थे। इसलिए एक समिति बनाई गई थी, जिसने इस कानून की नियमावली तैयार की। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट 20 जनवरी 2025 को सरकार को सौंपी, और कैबिनेट ने इसे सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। अब इस नियमावली के तहत उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड जल्द लागू होगा।
UCC में क्या शामिल हैं प्रमुख बिंदु?
UCC में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं, जिनमें मुख्य रूप से ये मुद्दे शामिल हैं:
उत्तराखंड बनेगा पहला राज्य
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड भारत का पहला राज्य बनेगा, जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जाएगा। उन्होंने इस कानून को लागू करने की पूरी प्रक्रिया को उल्लेखित करते हुए कहा कि राज्य के लिए यह ऐतिहासिक कदम है और इससे न्याय व्यवस्था में समानता आएगी। उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड का लागू होना राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इससे समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित होगा, और विवाह, तलाक, संपत्ति अधिकारों जैसी जटिलताओं में सुधार आएगा। 26 जनवरी 2025 को इसे लागू करने के बाद, उत्तराखंड इस कानून को लागू करने वाला पहला राज्य बन जाएगा।