Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तरकाशी से अच्छी खबर, सुरंग से निकाले गए मजदूर, सभी 41 श्रमिक आए बाहर

Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकाला जाना शुरू हो गया है. सुरंग में खुदाई पूरी हो गई है। 800 मिमी व्यास का पाइप भी डाला जा चुका है. एनडीआरएफ की टीम पाइप के जरिए मजदूरों तक पहुंची, फिर उन्हें बाहर निकालने का काम शुरू किया गया. मजदूरों.

Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकाला जाना शुरू हो गया है. सुरंग में खुदाई पूरी हो गई है। 800 मिमी व्यास का पाइप भी डाला जा चुका है. एनडीआरएफ की टीम पाइप के जरिए मजदूरों तक पहुंची, फिर उन्हें बाहर निकालने का काम शुरू किया गया. मजदूरों को एंबुलेंस में बैठाकर अस्पताल भेजने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। वहीं सुरंग के अंदर मजदूरों के परिजनों को भेजा गया है। वो सर्दी के हिसाब से कपड़े लेकर वहां गए हैं।

सीएम धामी ने की रेस्क्यू टीम की सराहना

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बाहर निकाले गए श्रमिको से मुलाकात कर रहे हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री जनरल (से.नि) वीके सिंह भी वहीं मौजूद हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रमिकों और रेस्क्यू अभियान में जुटे हुए कर्मियों के मनोबल और साहस की जमकर सराहना की. बाहर निकाले जा रहे श्रमिकों के परिजन भी टनल में मौजूद हैं। टनल से बाहर निकाले गए श्रमिकों की प्रारंभिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण टनल में बने अस्थाई मेडीकल कैंप में की जा रही है।


12 नवंबर से फंसे हैं मजदूर

उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम ‘ऑल वेदर सड़क’ (हर मौसम में आवाजाही के लिए खुली रहने वाली सड़क) परियोजना का हिस्सा है। ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही यह सुरंग 4.5 किलोमीटर लंबी है. 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा ढह गया. इससे मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए। इन्हें निकलने के लिए 16 दिन से रेस्क्यू अभियान जारी है। लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली।

उत्तकाशी की सिलक्यारा सुरंग में 17 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों के लिए आज मंगलवार का दिन खुशी लेकर आया। सभी श्रमिकों को सुरंग से सुरक्षित बाहर निकाला गया। इस दौरान सीएम धामी ने मजदूरों से बात की और उन्हें माला पहनाई।  बीते 17 दिनों से कई टीमें बचाव अभियान में जुटी थीं। पहले ऑगर मशीन से सुरंग में पाइप डाला जा रहा था, लेकिन लक्ष्य से 12 मीटर पहले ही बाधाएं आने की वजह से मशीन काम नहीं कर पाई। इसके बाद रैट माइनर्स की टीम को बुलाया गया। जिसे आज दोपहर श्रमिकों को बाहर निकालने में सफलता मिली।


एक घंटे में निकाले गए 400 घंटे तक फंसे मजदूर

सुरंग में करीब 400 घंटे तक फंसे रहे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने में बमुश्किल एक घंटे का समय लगा। 17 दिन तक बचाव अभियान उम्मीद और नाउम्मीदी के बीच झूलता रहा। मंगलवार को जब केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री वीके सिंह सिलक्यारा पहुंचे और मुख्यमंत्री भी सिलक्यारा लौटे तो संकेत साफ हो गए कि आज मजदूरों के अंधेरी सुरंग से बाहर निकलने का समय आ गया है। शाम होते ही खबर आ गई। 12 नवंबर को दिवाली के दिन 4 मजदूर सुरंग में फंसे थे और 17वें दिन बाहर निकले।

रेस्क्यू टीमों को सलाम

राज्य और केंद्र सरकार की सभी एजेंसियां, अधिकारी और कर्मचारियों ने जी-तोड़ मेहनत और जज्बे से इस मिशन को मुकाम तक पहुंचाया है। केंद्र और राज्य सरकार की तमाम टीमें पूरे 17 दिन तक पूरी तन्मयता और मनोयोग से रेस्क्यू में जुटी रहीं। मुख्यमंत्री धामी निरंतर स्थलीय निरीक्षण करने साथ ही रेस्क्यू टीमों की हौसला-अफजाई करते रहे। रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, आरवीएनएल, एसजेवीएनएल, ओएनजीसी, आईटीबीपी, एनएचएआईडीसीएल, टीएचडीसी, उत्तराखंड शासन, जिला प्रशासन, थल सेना, वायुसेना समेत तमाम संगठनों के अधिकारियों और कर्मचारियों ने अहम भूमिका निभाई।

छह इंच के पाइप से पहुंचा गया खाना

नौवें दिन देर शाम टीम को सफलता मिली और छह इंच का दूसरा फूड पाइप मजदूरों तक पहुंचा दिया गया। देर शाम इसी पाइप से उन्हें खाने के लिए खिचड़ी और मोबाइल चार्ज करने के लिए चार्जर भेजे गए थे। 10वें दिन एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरा सुरंग में फंसे मजदूरों तक पहुंचाया गया। जिससे श्रमिकों की पहली तस्वीर सामने आई। उसके बाद लगातार श्रमिकों को इसी पाइप से खाना भेजा गया।

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