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क्या चिंटल पैराडिसो सोसाइटी के सभी टावर है अनसेफ, डेढ़ महीने में होगा खुलासा, ऑडिट शुरू

गुरुग्राम: सेक्टर-109 की चिंटल पैराडिसो सोसाइटी की सभी 9 टावर सेफ हैं या अनसेफ इसका खुलासा डेढ़ महीने में जिला प्रशासन द्वारा कर दिया जाएगा। यहां तीन टावर के अनसेफ घोषित होने के बाद आईआईटी टीम द्वारा शेष 6 टावरों का भी स्ट्रक्चर ऑडिट किया जा रहा है। इसकी रिपोर्ट अगले डेढ़ महीने में आने.

गुरुग्राम: सेक्टर-109 की चिंटल पैराडिसो सोसाइटी की सभी 9 टावर सेफ हैं या अनसेफ इसका खुलासा डेढ़ महीने में जिला प्रशासन द्वारा कर दिया जाएगा। यहां तीन टावर के अनसेफ घोषित होने के बाद आईआईटी टीम द्वारा शेष 6 टावरों का भी स्ट्रक्चर ऑडिट किया जा रहा है। इसकी रिपोर्ट अगले डेढ़ महीने में आने की आशा है जिसके बाद पूरी स्थिति साफ हो जाएगी। वहीं, अब तक अनसेफ घोषित हो चुकी तीन टावर के निवासियों को दिए जाने वाले मुआवजे को लेकर भी बैठकों का दौर जारी है, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। वहीं, प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो 15 दिन में इसका भी निर्णय हो जाएगा।

दरअसल, सेक्टर-109 की चिंटल पैराडिसो सोसाइटी में करीब एक साल पहले टावर डी के छह मंजिल की छत गिर गई थी। इसमें दो लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और सोसाइटियों का स्ट्रक्चर ऑडिट शुरू कराया गया। इसमें टावर डी को तुरंत प्रभाव से अनसेफ घोषित कर दिया। इसके बाद टावर ई और एफ का ऑडिट होने के बाद साफ हुआ कि यह दोनों टावर भी अनसेफ हैं। ऐसे में उन्हें भी खाली कराए जाने का नोटिस दिया गया है। इसके साथ ही इनमें रहने वाले लोगों को बिल्डर से मुआवजा दिलाने जाने के लिए बैठकों का दौर चल रहा है। इन तीनों टावरों को तोड़ने की जिला प्रशासन द्वारा योजना तैयार की जा रही है, लेकिन अब प्रशासन ने इन तीनों टावर को तोड़ने से पहले पूरी सोसाइटी की 9 टावर का स्ट्रक्चर ऑडिट कराने की तैयारी कर ली है। अधिकारियों की मानें तो ऑडिट शुरू करा दिया गया है और डेढ़ महीने में यह रिपोर्ट आ जाएगी जिसके बाद यह तय हाेगा कि इस पूरी सोसाइटी को ही तोड़ा जाना है या केवल तीन टावर ही तोड़ने हैं।

फिलहाल प्रशासन द्वारा जिन तीन टावर को खाली कराया गया है उनके निवासियों के पुर्नवास के लिए बिल्डर और रेजिडेंट्स के साथ संयुक्त बैठक की जा रही है। इसमें बिल्डर की तरफ से दिया जा रहा मुआवजा रेजिडेंट्स को कम लग रहा है जबकि बिल्डर इसे सर्वाधिक मुआवजा होने की बात कह रहा है। वहीं, इस मामले में अब जिला प्रशासन अपने स्तर पर ही मुआवजे को तय कर दोनों पक्षों में सहमति बनाने का प्रयास कर रहा है।

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