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चैत्र नवरात्रि की अष्टमी के दिन भीमेश्वरी देवी मंदिर में माता के दर्शन के लिए उमड़ी लाखों श्रद्धालुओं की भीड़

झज्जर जिले के बेरी कस्बे में स्थित विश्व प्रसिद्ध मां भीमेश्वरी देवी मंदिर में चैत्र नवरात्रि पर्व के अष्टमी के दिन लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन करने पहुंचे हैं। कल शाम से ही माता के दर्शन के लोए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर परिसर में लगी हुई है। चांदी के सिंहासन पर विराजमान माता भीमेश्वरी देवी अपने भगतों को उनकी मनोकामना पूर्ति के आशीर्वाद दे रही हैं।इस अवसर पर महाभारत कालीन माता भीमेश्वरी देवी मंदिर में मेले का भी आयोजन किया गया है।

इस मंदिर का इतिहास महभारत कालीन है। कुरुक्षेत्र में हुए महाभारत युद्ध से पहले भगवान कृष्ण ने भीम को कुलदेवी मां से विजय श्री का आशीर्वाद लेने के लिए भेजा था। मां चलने को तो तैयार हो गईं, लेकिन शर्त रखी कि रास्ते में कहीं उतारना नहीं होगा। लेकिन जब भीम बेरी पहुंचे तो उन्हें लघुशंका जाने के लिए इस प्रतिमा को नीचे रख दिया। तभी से माँ भीमेश्वरी देवी यहां विराजमान हैं। मां की पूजा अर्चना का सिलसिला महाभारत काल से ही चला आ रहा है। यहाँ के मंदिर को महाभारत काल में स्थापित किया गया था।

हम आपको बता दें कि बेरी में स्थित मां भीमेश्वरी देवी मंदिर की एक ओर बात भी इसे अन्य मंदिरों से खास बनाती है। यहाँ माँ की प्रतिमा तो एक है लेकिन मंदिर दो। जी हां, मां भीमेश्वरी देवी की प्रतिमा को रोजाना सुबह 5 बजे बेरी कस्बे से बाहर स्थित मंदिर में लाया जाता है। जहां श्रद्धालु माता के दर्शन कर पूजा अर्चना करते हैं। वहीं दोपहर बाद 3 बजे प्रतिमा को पुजारी अंदर वाले मंदिर में लेकर जाते हैं, जिसके बाद अंदर वाले मंदिर में मां आराम करती हैं। इस बार माता भीमेश्वरी देवी की पोशाक कोलकाता से बनकर आई है। चांदी के सिंहासन पर विराजमान मां के भव्य रूप का दर्शन करने के लिये देशभर से श्रद्धालुओं बेरी पहुंच रहे हैं। जिस तरह माता भीमेश्वरी देवी अपने भगतों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। ठीक उसी तरह से हमारे दर्शकों की भी मनोकामना पूरी करे।

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