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Free की रेवड़ियां बांटने पर SC ने जताई चिंता, कहा- जनता को बेकार मत बनाओ

नेशनल डेस्क : हमारे देश में चुनाव के समय राजनीतिक पार्टियां अक्सर मुफ्त सुविधाओं की घोषणाएं करती हैं। इन घोषणाओं में मुफ्त राशन, पैसा, या अन्य भत्तों का वादा किया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य जनता से वोट हासिल करना और सत्ता में आना होता है। हालांकि, अब इस पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी.

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नेशनल डेस्क : हमारे देश में चुनाव के समय राजनीतिक पार्टियां अक्सर मुफ्त सुविधाओं की घोषणाएं करती हैं। इन घोषणाओं में मुफ्त राशन, पैसा, या अन्य भत्तों का वादा किया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य जनता से वोट हासिल करना और सत्ता में आना होता है। हालांकि, अब इस पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों की मुफ्त योजनाओं की घोषणाओं पर नाराजगी जाहिर की है। अदालत ने यह चिंता व्यक्त की कि इन मुफ्त योजनाओं के कारण लोग काम करने के लिए प्रेरित नहीं हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें मुफ्त राशन और पैसा मिल रहा है। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…

लोगों को समाज की मुख्यधारा में शामिल…

आपको बता दें कि जस्टिस गवई ने कहा कि लोगों को मुफ्त राशन और पैसे देने की बजाय, यह बेहतर होगा कि इन लोगों को समाज की मुख्यधारा में शामिल किया जाए। इससे वे खुद को आत्मनिर्भर बना सकेंगे और देश के विकास में योगदान देने के योग्य बनेंगे। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि मुफ्त योजनाओं के बजाय, लोगों को सशक्त बनाने की जरूरत है ताकि वे केवल भत्तों पर निर्भर रहने की बजाय अपने काम से समाज में योगदान दे सकें। इस तरह के प्रयास समाज की प्रगति और विकास के लिए अधिक फायदेमंद हो सकते हैं

SC की टिप्पणी…

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी शहरी क्षेत्रों में बेघर लोगों के लिए शेल्टर (आवास) से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान आई। इस दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने बताया कि सरकार शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम (Urban Poverty Alleviation Program) पर काम कर रही है, जिसका उद्देश्य गरीब और बेघर शहरी लोगों को आवास और अन्य जरूरी सेवाएं उपलब्ध कराना है। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से यह भी पूछा कि यह कार्यक्रम कब से लागू होगा और इसे लेकर छह हफ्ते बाद फिर से सुनवाई की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट की पहले की फटकार

यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों की मुफ्त योजनाओं पर सवाल उठाया है। पिछले साल भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग से पूछा था कि राजनीतिक पार्टियां चुनावों से पहले मुफ्त योजनाओं की घोषणाएं क्यों करती हैं। कोर्ट ने यह भी कहा था कि राजनीतिक दल वोटों के लिए मुफ्त की योजनाओं पर अधिक निर्भर रहते हैं, जो चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। दिल्ली चुनावों में भी ऐसी मुफ्त योजनाओं का उदाहरण देखा गया था।

मुफ्त योजनाओं के असर पर SC की चिंता

सुप्रीम कोर्ट का यह ताजा बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि मुफ्त योजनाओं से लोगों को सशक्त बनाने की बजाय, उनका मानसिकता केवल मुफ्त में मिलने वाली चीजों तक सीमित हो सकती है। अदालत का मानना है कि इन योजनाओं के बजाय, लोगों को ज्यादा आत्मनिर्भर और विकासशील बनाने की आवश्यकता है ताकि वे खुद समाज और देश के विकास में भागीदार बन सकें।


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