नेशनल डेस्क : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में महाकुंभ के सफल आयोजन को लेकर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि महाकुंभ ने दुनिया को भारत के विराट स्वरूप का दर्शन कराया और इसे एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय चेतना के रूप में देखा। यह आयोजन नए संकल्पों की सिद्धि के लिए प्रेरित करता है। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…
राम मंदिर और महाकुंभ का मिलाजुला संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के ठीक एक साल बाद महाकुंभ का सफल आयोजन हुआ, जिससे कुछ लोगों द्वारा भारत की क्षमता पर उठाए गए सवालों का करारा जवाब मिला है। यह आयोजन भारतीय संस्कृति और परंपरा की महानता को पुनः सिद्ध करने वाला था। इसके साथ ही पीएम मोदी ने महाकुंभ को गांधीजी के ‘दांडी मार्च’ और सुभाष चंद्र बोस के ‘दिल्ली चलो’ नारे की तरह एक अहम पड़ाव बताया, जिसमें जागृत होती हुई भारतीय आत्मा का प्रतिंबब दिखाई देता है। यह आयोजन देशवासियों के एकता और समर्पण का प्रतीक बना है।
पवित्र त्रिवेणी जल का योगदान..
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि पिछले सप्ताह उन्होंने प्रयागराज के त्रिवेणी के पवित्र जल को मॉरीशस में प्रवाहित किया। वहां पर जल प्रवाह के समय जो आस्था और उत्साह का वातावरण था, वह अत्यंत प्रेरणादायक था। इस ने महाकुंभ के महत्व को और बढ़ा दिया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ को ‘एकता का अमृत’ बताया और कहा कि इस आयोजन में देश के हर हिस्से से लोग एक साथ जुटे, बिना किसी भेदभाव के। यहां ‘अहम्’ (मैं) के स्थान पर ‘वयम्’ (हम) का भाव था, जो एकता और सामूहिक शक्ति का प्रतीक है।
#Live। महाकुंभ में हमने हमारी राष्ट्रीय चेतना के जागरण के विराट दर्शन किए हैं। ये जो राष्ट्रीय चेतना है, ये जो राष्ट्र को नए संकल्पों की ओर ले जाती है, ये नए संकल्पों की सिद्धी के लिए प्रेरित करती है।@narendramodi#MahaKumbh2025 @PMOIndia @myogiadityanath pic.twitter.com/LiukUtPrqq
— SansadTV (@sansad_tv) March 18, 2025
नदियों की रक्षा की आवश्यकता
पीएम मोदी ने महाकुंभ से प्रेरित होकर नदी उत्सव की परंपरा को बढ़ावा देने की बात की। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि हम आने वाली पीढ़ी को नदियों के महत्व के बारे में समझाएं और नदियों की सफाई और रक्षा के लिए कदम उठाएं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम नदियों को स्वच्छ और संरक्षित रखें। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की नई पीढ़ी अब गर्व के साथ अपनी आस्था और परंपराओं को अपना रही है, जो महाकुंभ के आयोजन से जुड़ी हुई हैं। यह एक संकेत है कि युवा पीढ़ी भारतीय संस्कृति को अपनी पहचान बना रही है।