चंडीगढ़: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT ) ने अपने हाल ही के आदेश में ठोस कचरे के निस्तारण उसके प्रबंधन और सीवरेज व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए उचित कदम उठाने में विफल रहने पर पंजाब सरकार को 1026 करोड़ रुपये का पर्यावरण जुर्माना लगाया है।
एनजीटी ने अपने ऑर्डर में पंजाब राज्य को मुख्य सचिव के माध्यम से एक महीने के भीतर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के पास पर्यावरण मुआवजे के लिए 1026 करोड़ रुपये जमा करने और अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
इससे पहले भी सितंबर 2022 में, एनजीटी ने अनुपचारित सीवरेज और ठोस कचरे के निर्वहन को रोकने में विफल रहने के लिए पंजाब सरकार पर कुल 2180 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था और पंजाब सरकार ने अब तक केवल 100 करोड़ रुपये जमा किए हैं।
एनजीटी ने अपने हालिया आदेश में कहा है कि चूंकि मुख्य सचिव भी 2080 करोड़ रुपये के रिंग-फेंस अकाउंट बनाने के संबंध में ट्रिब्यूनल के 22 सितंबर, 2022 के आदेश का अनुपालन करने में विफल रहे हैं, इसलिए यह स्पष्ट है कि इस ट्रिब्यूनल के आदेश की अवहेलना की गई है, जो एनजीटी अधिनियम, 2010 की धारा 26 के तहत अपराध है।
NGT ने आदेश में कहा है कि जल अधिनियम, 1974 की धारा 24 के आदेश का लगातार उल्लंघन और गैर-अनुपालन और उल्लंघन भी उक्त अधिनियम की धारा 43 के तहत अपराध है और जब अपराध सरकारी विभाग द्वारा किया जाता है, तो धारा 48 भी लागू होती है, जो घोषित करती है कि विभाग के प्रमुख को अपराध का दोषी माना जाएगा और उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा और उसे दंडित किया जाएगा।
एनजीटी ने पंजाब राज्य के मुख्य सचिव और शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव/अतिरिक्त मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर कारण बताने को कहा है कि अधिनियम, 1974 की धारा 43 और 48 के साथ धारा 24 के तहत अपराध करने और एनजीटी अधिनियम, 2010 की धारा 26 के तहत न्यायाधिकरण के आदेश का पालन न करने के लिए उचित मंच पर मुकदमा क्यों न चलाया जाए। एनजीटी ने जवाब दाखिल करने के लिए एक महीने का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 27 सितंबर को होगी।