नई दिल्ली: भारत को विश्व बैंक की बिजनेस रेडी (बी-रेडी) रिपोर्ट में व्यापार की शुरुआत, श्रम विनियमन और अंतरराष्ट्रीय व्यापार जैसे मापदंडों पर अच्छे अंक हासिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने यह आशंका जताई।
जीटीआरआई के अनुसार चूंकि भारत बी-रेडी ढांचे में शामिल होने की तैयारी कर रहा है, इसलिए इसका ध्यान स्थानीय सुधारों को आगे बढ़ाते हुए वैश्विक अंतर्दृष्टि का लाभ उठाने पर होना चाहिए। ‘बिजनेस रेडी’ विश्व बैंक की एक नई प्रमुख रिपोर्ट है, जो दुनिया भर की ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं में कारोबारी माहौल और निवेश के माहौल का मूल्यांकन करती है।
रिपोर्ट में कंपनियों के लिए बने नियामक ढांचे और सार्वजनिक सेवाओं का आकलन किया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया, व्यवसाय की शुरुआत के लिहाज से सिंगापुर जैसे देश न्यूनतम लागत पर एक दिन के भीतर ऑनलाइन व्यवसाय पंजीकरण की सुविधा देते हैं। भारत में, व्यवसायों को अभी भी कई चरणों और अधूरे डिजिटल एकीकरण का सामना करना पड़ता है।
इस मानक पर भारत का अंक मध्यम रहने का अनुमान है। इसी तरह, श्रम विनियमन में भारत ने चार श्रम संहिताएं पेश की हैं, लेकिन उनका कार्यान्वयन राज्यों में धीमा और असमान बना हुआ है। इस कारण श्रम मानक पर भी मध्यम अंक मिल सकता है। जीटीआरआई की रिपोर्ट में कहा गया, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में, जर्मनी और सिंगापुर व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सीमा शुल्क को सरल बनाते हैं।
हालांकि, भारत में सीमा शुल्क में देरी, असंगत प्रवर्तन और उच्च लॉजिस्टिक लागतों का सामना करना पड़ता है, जो कारोबारी दक्षता में बाधा डालते हैं। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि हालांकि भारत को तीन प्रमुख मापदंडों – विनियमों की गुणवत्ता, सार्वजनिक सेवाओं की प्रभावशीलता और परिचालन दक्षता में अच्छे अंक मिलने की उम्मीद है।