अगले वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की गति से बढ़ सकती है अर्थव्यवस्था : Axis Bank

नई दिल्लीः निजी क्षेत्र के एक्सिस बैंक ने आज कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था विकास के मामले में आश्चर्यचिकत कर सकती है और मार्च 2024 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में विकास दर 7 प्रतिशत रह सकती है लेकिन अगले वित्त वर्ष में इसके 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। एक्सिस.

नई दिल्लीः निजी क्षेत्र के एक्सिस बैंक ने आज कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था विकास के मामले में आश्चर्यचिकत कर सकती है और मार्च 2024 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में विकास दर 7 प्रतिशत रह सकती है लेकिन अगले वित्त वर्ष में इसके 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और एक्सिस कैपिटल के वैश्विक शोध प्रमुख नीलकंठ मिश्र ने आज वचरुअल संवाददाता सम्मेलन में इंडिया इकॉनोमिक एंड मार्केट आउटलुक रिपोर्ट को जारी करते हुये कहा कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि अगले वित्त वर्ष में इसमें कुछ नरमी दिख सकती है और इसके 6.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है।

उन्होंने कहा कि औसत खुदरा महंगाई के चालू वित्त वर्ष में 5.6 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष में 4.8 प्रतिशत रहने की संभावना है। चालू वित्त वर्ष में चालू खाता घाटा 1.4 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष में इसके 1.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसी तरह से चालू वित्त वर्ष में राजस्व घाटा 8.9 प्रतिशत तक रह सकता है और अगले वित्त वर्ष में यह 8.3 प्रतिशत पर आ सकता है। मिश्र ने कहा कि ऐसे पॉजिटिव सरप्राइज लगातार दिये जाते रहेंगे, जो ट्रेंड-विकास धारणाओं को नए सिरे से ऊपर उठाने में सहायक होंगे और भारत के जीडीपी पूर्वानुमानों से बढ़कर प्रदर्शन होगा। दुनिया की प्रतिकूल परिस्थितियां बढ़ने से वित्त वर्ष 2025 में विकास में गिरावट आ सकती है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक प्रतिकूलताओं को दूर करते हुए घरेलू लचीलापन जारी रहने की संभावना है। कई विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारत की जीडीपी वृद्धि आश्चर्यजनक रूप से सकारात्मक है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति धीरे-धीरे लक्ष्य की ओर लौटेगी लेकिन राहत के विकल्प सीमित होंगे। बैंक को उम्मीद है कि मुख्य मुद्रास्फीति धीमी गति से बनी रहेगी, क्योंकि महामारी से पहले के मुकाबले जीडीपी का अंतर कम हो रहा है। सेवा मुद्रास्फीति में नरमी श्रम बल में कमी को दर्शाती है। राजकोषीय अनुशासन, बुनियादी ढांचे का निर्माण और पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी भी समय के साथ योगदान देगी।

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