नयी दिल्ली: जीएसटी विभाग जल्द ही कंपनियों और पेशेवरों के आयकर रिटर्न और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के पास जमा दस्तावेजों के आंकड़ों का विश्लेषण शुरू करेगा। इस कवायद का मकसद कर आधार को बढ़ाना और यह पता लगाना है कि संस्थाएं अपनी जीएसटी देनदारी को पूरी तरह चुका रही हैं या नहीं।
इस समय माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत 1.38 करोड़ पंजीकृत व्यवसाय और पेशेवर हैं। जीएसटी को एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया था। विनिर्माण में 40 लाख रुपये और सेवा क्षेत्र में 20 लाख रुपये से अधिक के वार्षिक कारोबार वाली कंपनियों के लिए खुद को जीएसटी के तहत पंजीकृत करना और कर रिटर्न दाखिल करना जरूरी है।
एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ”हम आयकर विभाग के पास उपलब्ध सूचना के आधार पर आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे।”आंकड़ा विश्लेषण के दौरान उन संस्थाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिन्हें छूट नहीं मिली है और जिन्हें जीएसटी के तहत पंजीकरण करने और मासिक या तिमाही रिटर्न दाखिल करने की जरूरत है। जीएसटी कानून का पालन नहीं करने वाली संस्थाओं की पहचान करने के बाद, जीएसटी विभाग उनके व्यवसाय के पंजीकृत स्थान पर उनसे अनुपालन नहीं करने की वजह पूछेगा।
अधिकारी ने आगे कहा कि आंकड़ा विश्लेषण शाखा कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) के साथ मिलकर कंपनियों के जमा तिमाही और वार्षिक आंकड़ों के जरिए यह पता लगाएगा कि क्या कोई जीएसटी चोरी हो रही है।अधिकारी ने कहा कि पहले चरण में आयकर विभाग और जीएसटी आंकड़ों का मिलान होगा। इसके बाद एमसीए के आंकड़ों से इसका मिलान किया जाएगा। अधिकारी ने कहा, ”हम जल्द ही आयकर के आंकड़ों का मिलान शुरू करेंगे।”