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देश में 95.7 प्रतिशत लोगों के लिए पेयजल सुविधा में सुधार: NSS Report

नई दिल्ली: सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर कराए जाने वाले एक नियमित सर्वे की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में 95.7 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उनके लिए पेयजल के स्रोतों में पहले की तुलना में सुधार हुआ है तथा देश में 63.1 प्रतिशत घरों में रसाई में स्वच्छ ईंधन का उपयोग हो रहा.

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नई दिल्ली: सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर कराए जाने वाले एक नियमित सर्वे की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में 95.7 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उनके लिए पेयजल के स्रोतों में पहले की तुलना में सुधार हुआ है तथा देश में 63.1 प्रतिशत घरों में रसाई में स्वच्छ ईंधन का उपयोग हो रहा है। संख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय जारी राष्ट्रीय प्रतिदर्शन सर्वे (एनएसएस) के 78वें चक्र के सर्वे की मंगलवार को जारी इस रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र के 95 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र के 97.2 प्रतिशत लोगों ने सर्वे टीमों को बताया कि उनके लिए पेय जल स्रोतों की उपलब्धता सुधरी है।

रिपोर्ट के अनुसार पीने के पानी के स्रोतों में बोतल बंद पानी, मकान में टोंटी से पानी की सुविधा, पड़ोस में ऐसी सुविधा, सार्वजनिक नल/ पाइप के पानी की वैकल्पिक व्यवस्था, ट्यूव-वेल, हैंडपंप, संरक्षित कूप, सार्वजनिक टैंकर ट्रक, प्रावेट टैंकर ट्रक, संरक्षित झरने और संग्रहीत वर्षा जल की सुविधा शामिल है। इसी तरह देश में 98 प्रतिशत लोगों के लिए शौचालय सुविधा बेहतर हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में ऐसी राय व्यक्त करने वाले लोगों का अनुपात 97.5 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 99 प्रतिशत है।

एनएसएस के 78वें सर्वे की इस रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में क्रमश: 77.4 प्रतिशत और 92.7 प्रतिशत आबादी को अपने घर में हाथ धोने के लिए साबुन और पानी की सुविधा हो चुकी है। राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 81.9 प्रतिशत है। ग्रामीण क्षेत्रों में 49.8 प्रतिशत घरों में और शहरी क्षेत्रों में 92 प्रतिशत घरों में रसोईं पकाने के लिए प्राथमिक रूप से स्वच्छ ईंधन का प्रयोग हो रहा है। मंत्रालय के अनुसार लोगों के लिए शौचालय सुविधाओं में पाइप्ड सीवर सिस्टम में फ्लश/पोर-फ्लश, सेप्टिक टैंक में फ्लश/पोर-फ्लश, ट्विन लीच पिट/सिंगल पिट में फ्लश/पोर-फ्लश, हवादार बेहतर पिट शौचालय, स्लैब के साथ पिट शौचालय, कंपोस्टिंग शौचालय शामिल हैं।

इसी तरह ऊर्जा के प्राथमिक स्रोत को ऊर्जा के उस स्रोत के रूप में परिभाषित किया गया है जिसका उपयोग परिवार अधिकांश समय करता था। खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन में एलपीजी, अन्य प्राकृतिक गैस, गोबर गैस, अन्य बायोगैस, बिजली (सौर/पवन ऊर्जा जनरेटर द्वारा उत्पन्न सहित) और सोलर कुकर शामिल हैं। इस सर्वे में मुख्य रूप से मुख्य रूप से स्वस्थ विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) और मार्च 2014 के बाद परिवारों के रहने के लिए पक्के घरों के क्रय/निर्माण की दिशा में प्रगति की जानकारी जुटाने पर ध्यान दिया गया ।

राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वे कार्यालय (एनएसएसओ) ने 78वें दौर के दौर में बहुविध संकेतक सर्वे (एमआईएस) कराया। इसमें कुल 14,516 की यूनिट आवंटित की गयीं । सर्वेक्षण में अखिल भारतीय स्तर पर शामिल किए गए परिवारों की कुल संख्या 2,76,409 (ग्रामीण क्षेत्रों में 1,64,529 और शहरी क्षेत्रों में 1,11,880) थी। इनमें 11,63,416 व्यक्तियों (ग्रामीण क्षेत्रों में 7,13,501 और शहरी क्षेत्रों में 4,49,915) से सम्पर्क किया गया। एनएसएस के 78वें चक्र के सर्वे का काम जनवरी -दिसंबर 2020 के दौरान कराया जाना था लेकिन कोविड19 महामारी के चलते इसको 15 अगस्त 2021 तक बढ़ा दिया गया था।

एनएसएस के 78वें दौर के सर्वे में कहा गया है किदेश में करीब दश प्रतिशत ( 9.9 प्रतिशत) परिवारों ने 31 मार्च के बाद अपने लिए नया घर या फ्लैट खरीदा या उसका निर्माणकराया। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में ऐसे परिवारों का अनुपात क्रमश 11.2 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत रहा। ऐसे परिवारों में राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे आधे परिवार ( 49.9 प्रतिशत ) परिवारों ने पहली बार कोई मकान अथवा फ्लैट खरीदा अथवा बनाया। इस मामले में ग्रामणी और शहरी क्षेत्र में ऐसे परिवारों का अनुपात क्रमश- 47.5 प्रतिशत और 57.9 प्रतिशत था।

इसी तरह पूरे देश में 15-29 वर्ष के आयु वर्ग के 34.9 प्रतिशत लोगों ने बताया कि वे सर्वे के पहले के 12 माह के दौरान किसी न किसी औपचारिक या अनौपचारिक शिक्षण-प्रशिक्षण में शामिल थे। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे लोगों का अनुपात 33 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 39.4 प्रतिशत था। इसी तरह राष्ट्रीय स्तर पर 15-24 वर्ष के 29.3 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे किसी भी तरह की शिक्षा, रोजगार या प्रशिक्षण में नहीं जुड़े हैं (एनईईटी हैं)। ग्रामीण और शरही क्षेत्र में ऐसा बताने वालों का अनुपात क्रमश: 30.2 प्रतिशत और 27 प्रतिशत है।

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार देश में 18 वर्ष या उससे ऊपर के 72.7 प्रतिशत लोगों ने सर्वे के पहले के तीन महीनों के दौरान सक्रिय सिम कार्ड के साथ मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था। ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे लोगों का अनुपात 67.8 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 83.7 प्रतिशत था। ग्रामीण क्षेत्रों में 92 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें अब अपने घर के पास से दो किलोमीटर के दायरे में पक्की सड़क की सुविधा मिल रही है। सर्वे के अनुसार देश में 29.1 प्रतिशत लोग अपने पिछले सामान्य निवास स्थान से अलग स्थान पर रह रहे थे। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे लोगों का अनुपात 26.8 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 34.6 प्रतिशत था।

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