नयी दिल्ली: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा सचिव भूपेन्द्र सिंह भल्ला ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण आपूर्ति व्यवस्था में एक प्रमुख देश के रूप में उभरेगा और निर्यातक बनेगा। उन्होंने कहा कि देश में सौर विनिर्माण क्षमता 2026 तक एक लाख मेगावाट तक पहुंच जाएगी।सरकार ने 24,000 करोड़ रुपये के व्यय के साथ उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना लागू की है। इससे 2026 तक 48,000 मेगावाट क्षमता की सौर उपकरण विनिर्माण क्षमता स्थापित करने में मदद मिलने का अनुमान है।
भल्ला ने उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य देश को नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों का महत्वपूर्ण वैश्विक आपूर्तिकर्ता बनाना है।’’ सचिव ने कहा कि 24,000 करोड़ रुपये की सौर पीएलआई योजना अगले तीन साल में 48,000 मेगावाट की नई नवीकरणीय ऊर्जा विनिर्माण सृजित करेगी।उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश में 28,000 मेगावाट सौर मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता और 6,000 मेगावाट सौर सेल विनिर्माण क्षमता है।
भल्ला ने कहा कि सौर ऊर्जा के लिए पीएलआई योजना के लागू के बाद देश में एक लाख मेगावाट सौर मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता होने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें हर साल 30,000 मेगावाट से 40,000 मेगावाट सौर ऊर्जा विनिर्माण क्षमता जोड़ने की जरूरत है। हमारे पास अब भी निर्यात के लिये पर्याप्त क्षमता है। यही कारण है कि भारत सौर उपकरण के मामले में वैश्विक आपूर्ति व्यवस्था में एक प्रमुख देश बनेगा।’’ भारत का 2030 तक पांच लाख मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। साथ ही कुल बिजली उत्पादन क्षमता में 50 प्रतिशत हरित ऊर्जा स्रोतों से हासिल करने का लक्ष्य है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य देश को सौर मॉड्यूल का महत्वपूर्ण विनिर्माता बनाने का है। भारत नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों के विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनने के लिए तैयार है।’’ भल्ला ने कहा कि देश में पवन ऊर्जा उपकरण (टर्बाइन) के मामले में विनिर्माण क्षमता 15,000 मेगावाट है।भारत नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के मामले में दुनिया में चौथे स्थान पर है।