नयी दिल्ली: दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के कारण स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से 2047 तक ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर सकती है। अमेरिका के एक शीर्ष शोध संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है।रिपोर्ट में कहा गया है कि नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में बड़े विस्तार से आयात में अरबों डॉलर की बचत होती है।
सरकार द्वारा वित्तपोषित अनुसंधान एवं विकास केंद्र लॉरेंस बार्कले नेशनल लैबोरेटरी ने ‘द इंडिया एनर्जी एंड क्लाइमेट सेंटर (आईईसीसी)’ के साथ मिलकर ‘आत्मनिर्भर भारत का रास्ता’ नामक एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें भारत द्वारा स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने की दिशा में उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला गया है। भारत अपनी कच्चे तेल और कोयले की 80 से 85 प्रतिशत जरूरत आयात से पूरा करता है। वैश्विक ऊर्जा बाजारों में इनकी कीमत और आपूर्ति में उतार-चढ़ाव के कारण भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ा है।
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि स्वच्छ ऊर्जा की कीमतों में हाल ही में नाटकीय ढंग से आई कमी से भारत को अक्षय ऊर्जा, बैटरी भंडारण और हरित हाइड्रोजन में निवेश के माध्यम से ऊर्जा आयात को कम करने का अवसर मिला है।प्रधानमंत्री मोदी पहले से ही 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य तय कर चुके हैं। सरकार 2030 तक निजी कारों में 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी चाहती है। वाणिज्यिक वाहनों में 70 प्रतिशत और दोपहिया के लिए यह लक्ष्य 80 प्रतिशत का है। इसके चलते सरकार देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाने को प्रयासरत है। इसके साथ ही, भा रत नवीकरणीय स्रोतों से बिजली का उपयोग करके 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य बना रहा है।