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शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 16 प्रतिशत बढ़कर 16.90 लाख करोड़ रुपये हुआ

Income Tax Department

Income Tax Department

नई दिल्ली : भारत का शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह चालू वित्त वर्ष के 1 अप्रैल 2024 से 12 जनवरी 2025 के बीच 16.90 लाख करोड़ रुपये रहा है। इसमें पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 15.88 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है। यह जानकारी Income Tax Department द्वारा संकलित किए गए ताजा आंकड़ों से मिली। समीक्षा अवधि के दौरान सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 19.94 प्रतिशत बढ़कर 20.64 लाख करोड़ रुपये हो गया है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 17.21 लाख करोड़ रुपये था। इस अवधि के दौरान व्यक्तिगत आयकर संग्रह पिछले वित्त वर्ष के 7.2 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 21.6 प्रतिशत बढ़कर 8.74 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि कॉर्पोरेट कर संग्रह वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि में 7.10 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 8.12 प्रतिशत बढ़कर 7.7 लाख करोड़ रुपये हो गया। सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) संग्रह, जो प्रत्यक्ष कर का एक घटक है, इस अवधि के दौरान 75 प्रतिशत बढ़कर 44,500 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 25,415 करोड़ रुपये था। आंकड़ों में बताया गया कि समीक्षा अवधि में 3.74 लाख करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया गया है, जो कि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 42.5 प्रतिशत ज्यादा है।

आर्थिक विकास दर में वृद्धि होती है और अधिक नौकरियों का सृजन होता
कर संग्रह में उछाल एक मजबूत व्यापक आर्थिक वित्तीय स्थिति को दर्शाता है। यह राजकोषीय घाटे को नियंत्रित रखने में भी मदद करता है। कम राजकोषीय घाटे का मतलब है कि सरकार को कम उधार लेना पड़ता है, जिससे बड़ी कंपनियों के लिए बैंकिंग प्रणाली में उधार लेने और निवेश करने के लिए अधिक पैसा बचता है। इससे आर्थिक विकास दर में वृद्धि होती है और अधिक नौकरियों का सृजन होता है। इसके अलावा, कम राजकोषीय घाटा मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित रखता है, जो अर्थव्यवस्था के आधार को मजबूत करता है और स्थिरता के साथ विकास सुनिश्चित करता है। सरकार का लक्ष्य अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए राजकोषीय समेकन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में 2023-24 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.6 प्रतिशत से चालू वित्त वर्ष में 4.9 प्रतिशत तक लाना है।

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