इस साल होली का पर्व 8 मार्च को मनाई जा रही है। लेकिन यह बात हम सबी जानते है कि होली से पहले के 8 दिनों को होलाष्टक कहते हैं। होलाष्टक के इन सभी दिनों को बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता यह भी है की होलाष्टक के दिनों में कोई भी शुभ कार्य.
हर साल महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। इस साल महाशिवरात्रि 18 फरवरी दिन शनिवार को मनाई जा रही है। महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवन शिव जी की पूजा अर्चना की जाती है। बहुत से लोग इस.
होली का त्यौहार हर साल बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन हर कोई एक दूसरे को रंग लगाता है। होली हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के अगले दिन मनाई जाती है। इस बार बहुत लोग कोई इस दुविधा में है की इस बार रंगों का त्यौहार होली 8 मार्च को आ रहा.
अंक 1 अभी शायद घरेलू मुद्दों से निपटने के लिए आपको एक छोटी सी यात्रा की आवश्यकता हो सकती है। दोस्तों के साथ खाली समय का मज़ा लें। बातचीत और अच्छा श्रोता बनना अभी महत्वपूर्ण है। अंक 2 अतीत की व्यस्त गतिविधियों के बाद आज का दिन शांतिपूर्ण बीतेगा। यह शांति भरे क्षण आपके लिए.
मेष आज का दिन आपके लिए महत्वपूर्ण रहने वाला है। व्यापार कर रहे लोग अपनी योजनाओं पर पूरा ध्यान लगाएंगे। नौकरीपेशा लोगों के अधिकारी यदि उनको कोई काम सौंपेगे, तो आपको उसकी पूरी जानकारी अवश्य लेनी होगी, नहीं तो उनसे कोई गलती हो सकती है। आप इधर उधर बैठकर खाली समय व्यतीत कर सकते हैं,.
प्रस्तुत हैं आज के मुहूर्त शुभ विक्रम संवत् संवत्सर नाम-राक्षस अयन-उत्तरायण मास-फाल्गुन पक्ष-कृष्ण ऋतु-शिशिर वार-गुरुवार तिथि (सूर्योदयकालीन)-चतुर्थी नक्षत्र (सूर्योदयकालीन)-उत्तराफाल्गुनी योग (सूर्योदयकालीन)-सुकर्मा करण (सूर्योदयकालीन)-बव लग्न (सूर्योदयकालीन)-मकर शुभ समय- 6:00 से 7:30, 12:20 से 3:30, 5:00 से 6:30 तक राहुकाल-दोप. 1:30 से 3:00 बजे तक दिशा शूल-दक्षिण योगिनी वास-नैऋत्य गुरु तारा-उदित शुक्र तारा-उदित चंद्र स्थिति-कन्या व्रत/मुहूर्त-श्रीगणेश चतुर्थी.
आजकल बागेश्वर धाम सरकार मंदिर खूब सूर्खियां बटोर रहा है। जी हां ये वहीं मंदिर हैं, जहां पंडित धीरेंद्र शास्त्री भक्तों की समस्याओं को दूर करने के समाधान बताते हैं। जानें इस मंदिर की कुछ रहस्यमयी बातें। भगवान की कृपा पाने और जीवन को सुखमय बनाने के लिए लोग मंदिर जाते हैं। भगवान के आगे.
हर घर में किसी न किसी शुभ अवसर पर मांगलिक कार्य संपादित किए जाते हैं। मंदिरों में इष्टदेव की आराधना हो या पूजा या फिर वैदिक मंत्रों का पाठ, इन सब में फूलों को जरूर शामिल किया जाता है। इष्टदेव की पूजा के समय उन पर फूल चढ़ा देने मात्र से ही हम पुण्य के.
भारत के पश्चिमी छोर पर गुजरात राज्य में स्थित द्वारिका को कर्मयोगी श्री कृष्ण की राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। बिल्कुल समुद्रतट पर जहां अरब सागर की फेनिल लहरें मचलती रहती हैं, द्वारिकापुरी स्थित है। इस छोटे से शहर के मध्य में ऊंचाई पर बना द्वारिकाधीश का मंदिर तथा उस पर फहराती रंगीन पताका.