नई दिल्ली: देश में मत्स्यपालन क्षेत्र के विकास के लिए आज कृषि भवन, दिल्ली में एक उच्चस्तरीय बैठक केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा पशुपालन, मत्स्यपालन एवं डेयरी व पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह के मध्य हुई।
बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि मत्स्यपालन के क्षेत्र में आईसीएआर द्वारा काफी अच्छा अनुसंधान किया जा रहा है, नई प्रौद्योगिकियां विकसित की गई है, वहीं अनेक पहल की गई है, इन सबका लाभ देशभर के किसानों को और भी तत्काल अधिकाधिक कैसे मिलें, इस संबंध में विचार- विमर्श हुआ एवं संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए गए। चौहान ने कहा कि मत्स्यपालन क्षेत्र का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में गत वर्षों में देश में काफी विकास हुआ है, वहीं आगे और भी विकास की असीम संभावनाएं है, साथ ही इससे रोजगार के अवसर भी बड़ी संख्या में बढ़ेंगे। इस दिशा में यह फैसला लिया गया है कि समस्त संभावनाओं को तलाशने, क्रियान्वित करने हेतु सभी संबंधित विभाग एक साथ मिल-बैठकर काम करें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी यहीं मंशा रही है कि कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र मिलकर काम करें, ताकि किसानों, मत्स्यपालकों, पशुपालकों आदि को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचे।
चौहान ने कहा कि सरकार चाहती है कि छोटे किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिलें। माडल फार्म विकसित किए जाना चाहिए, ताकि किसान सम्बद्ध कार्यों द्वारा भी अपनी आय बढ़ा सकें। खेती व सम्बद्ध क्षेत्रों में किसानों – अन्य लोगों की गरीबी दूर होकर आमदनी बढ़ना चाहिए, इस पर सरकार का फोकस है और अनेक योजनाओं व कायर्यक्रमों के माध्यम से इस दिशा में काम किया जा रहा है। आज बैठक में इस संबंध में, मत्स्यपालन के क्षेत्र में एक उच्चस्तरीय समिति बनाने का निर्णय लिया गया है, जिसमें मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय तथा आईसीएआर के वरिष्ठ अधिकारी सम्मिलित रहेंगे। समिति नियमित बैठकें करेगी व रोडमैप भी तैयार करेगी। चौहान ने कहा कि इसमें राज्यों की सहायता ली जाएं व सभी ताकत से जुटें ताकि अच्छे परिणाम आएं। बैठक में कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि सफल किसानों की बातें अधिकाधिक प्रसारित करने के साथ ही जागरूकता कार्यक्रम और शिविर भी आयोजित किए जाएं।
केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि मत्स्यपालन में आईसीएआर ने काफी अच्छा रिसर्च किया है, जो बहुत उपयोगी है, इसे किसानों, गांव-गांव, नए स्टार्टअप्स तक पहुंचाने के लिए बैठक की गई है, ताकि आगे और भी सुधार हो सकें। उन्होंने बताया कि मछली उत्पादन में नीली क्रांति हुई है और भारत आज विश्व में दूसरे स्थान पर है तथा सालाना 60 हजार करोड़ रुपए का निर्यात हो रहा है। सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ भी बड़े पैमाने पर देश के किसानों को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि दुग्ध उत्पादन में भारत दुनिया में पहले नंबर है, साथ ही निर्यात बढ़ाने व देश को एफएमडी मुक्त करने पर केंद्र द्वारा योजनाबद्ध ढंग से काम किया जा रहा है।
बैठक में आईसीएआर के उप महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान) डॉ. जे.के. जेना ने 8 मत्स्य अनुसंधान संस्थानों के महत्वपूर्ण अनुसंधान क्षेत्रों और प्रौद्योगिकी विकास की प्रस्तुति दी। बैठक में मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी और आईसीएआर के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक भी उपस्थित थे।