दिल्ली में ‘स्टमक फ्लू’ के मामलों में तेजी

'स्टमक फ्लू' जिसे वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस के रूप में भी जाना जाता है, एक आम बीमारी है जो नोरोवायरस रोटावायरस और एंटरोवायरस सहित विभिन्न वायरस के कारण होती है।

नई दिल्ली: डॉक्टरों ने बताया कि दिल्ज़्ली में ‘स्टमक फ्लू’ के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिल रही है।

‘स्टमक फ्लू’ जिसे वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस के रूप में भी जाना जाता है, एक आम बीमारी है जो नोरोवायरस रोटावायरस और एंटरोवायरस सहित विभिन्न वायरस के कारण होती है। ये वायरस अत्यधिक संक्रामक होते हैं और दूषित भोजन या पानी, किसी संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क या खराब स्वच्छता के माध्यम से आसानी से फैल सकते हैं।

मैक्स हॉस्पिटल वैशाली में सीनियर कंसल्टेंट इंटरनल मेडिसिन डॉ. वंदना गर्ग ने कहा, ’हाल के दिनों में ओपीडी में फ्लू, डायरिया, वायरल बुखार आदि जैसे मामलों के लिए हमारे पास आने वाले मरीजों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो अनुमान के अनुसार 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत अधिक है।’

इसके प्रमुख लक्षणों में पेट दर्द, दस्त और उल्टी शामिल हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने मरीजों को एंटीबायोटिक न लेने की सलाह दी है।

सी.के. बिड़ला अस्पताल दिल्ली में आंतरिक चिकित्सा के निदेशक डॉ. राजीव गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, ’पेट फ्लू के मामले अधिक हो रहे हैं, वे आम तौर पर कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं। लेकिन एंटीबायोटिक्स से इसमें ज्ज़्यादा असर नहीं पड़ेगा। इसका उपयोग तब तक नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि कोई बैक्टीरियल इंफेक्शन मौजूद न हो। डॉक्टर ने कहा कि वह प्रतिदिन औसतन 6-7 मामले देख रहे हैं।

विशेषज्ञ ने कहा कि छोटे बच्चों, बड़े वयस्कों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों में पेट के फ्लू से निर्जलीकरण और कुपोषण जैसी गंभीर जटिलताएं विकसित होने का खतरा अधिक होता है।

डॉ. वंदना ने कहा कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी समस्ज़्याओं का सामने करने वाले व्यक्तियों को भी इससे खतरा है।

डॉक्टरों ने इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए स्वस्थ आहार बनाए रखने, बार-बार हाथ धोने, भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने, मास्क पहनने और बीमार व्यक्तियों के संपर्क से बचने सहित कई तरह की सावधानियां बरतने का आन किया।

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